वाराणसी के रोहनिया में गुरुवार को अखरी बाईपास के समीप 16 वर्षीय श्रीलेखा अपनी मां संग स्कूटी से पहुंची जो 3 दिन पहले गुड़गांव से अपनी यात्रा शुरु की थी। वह मूल रूप से पश्चिम बंगाल की निवासी है। श्रीलेखा ने बताया कि Lockdown की वजह से मेरा पूरा परिवार गुड़गांव में फंसा हुआ था। श्रीलेखा गुड़गांव में बच्चों के केयर टेकर का कार्य करती है और उनकी मां काजल लोगों के घर में झाड़ू पोछा लगाने का काम कर परिवार का पालन पोषण करती हैं ।
16 वर्षीय श्रीलेखा 25 तारीख की शाम में स्कूटी पर अपनी मां काजल को बैठाकर घर के कुछ सामान के साथ रवाना हुई। 3 दिन की दूरी तयकर बनारस पहुचीं तो रास्ते भर की आपबीती को जाहिर करते हुए बताया कि हम लोगों को इन 3 दिनों के सफर में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। खाने की समस्या और रात में सोने की दिक्कत सबसे कष्टदायक रही। हम लोग जहां पर भी सोने की जगह खोजते तो वह के स्थानीय लोग गाली गलौज कर Police को बुलाने की धमकी देते थे।
बताया कि जीवन के इस कठिन सफर के दौरान पहली बार कुछ समय के लिए बनारस में रुकी और यहां के लोगों का प्रेम भाव देखकर मुझे अपने परिवार के लोगों की याद सताने लगी। इसी क्रम में काशीवासियों द्वारा श्रीलेखा और उनकी मां काजल को भर पेट भोजन कराया गया और रास्ते के लिए भी पर्याप्त भोजन ले जाने के लिए दिए। बनारस वासियों के इस प्रेम भाव को देखकर मां-बेटी के आंखों में आंसू छलक उठे। कहा कि मैं इस दिन को कभी नहीं भूलंगी जब बाबा की नगरी में हमें इतना प्रेम और सहयोग मिला। कहना था कि जब यहां तक पहुंच गए तो घर भी पहुंच जाएंगे क्योंकि अब हमें बाबा का आशीर्वाद प्राप्त हो गया है।