क्यों…??? इंडियन पैरेंट्स कर देते हैं रिमोट से म्यूट……

संपादकीय

ये है कहानी घर घर की, जी नहीं बात टीवी सीरियल की नहीं हो रही बल्कि बात हो रही है उन मौकों की कि टीवी पर कुछ ऐसा दिखा दिया या सुनाई दिया जाता है कि पैरेंट्स हो जाते हैं शर्म से पानी पानी और टीवी म्यूट करना या टीवी बंद करना ही अकेला ऑप्शन बचता है। ऐसे में रिमोट तो हाथ में ब्रह्म्हास्त्र की तरह लगता है। ऐसा लगता है भगवान ने सारी शक्तियां टीवी के रिमोट में ही डाल दी हैं। टाइटैनिक जब टीवी पर आई

ये वाकिया तो भारत के हर तीसरे घर में हुआ होगा। अगर पूछा जाए कि भारत में सबसे प्रसिद्द हॉलीवुड फिल्म कौन सी है तो टाइटैनिक पहले नंबर पर होगी। टाइटैनिक ही ऐसी फिल्म थी जिस पर घरों में खूब टीवी बंद की गयी।
चलिए डीटेल में नहीं चलते हैं और सिर्फ इतना बता देते हैं कि एक पेंटिग वाला सीन था जिससे बेचारे भोले भाले पैरेंट्स को सूझ ही नहीं रहा था करें तो क्या करें। पहले से पता जो नहीं था कि ऐसा कुछ दिखा देंगे।

संस्कारों का सत्यानाश करने की ठान चुके हैं टीवी वाले!

पहले संस्कार से भरे और अपने बच्चों में संस्कार डालने पर हमेशा उतारू पैरेंट्स के लिए जीवन पहले से काफी ज्यादा कठिन है। अब टीवी पर तो जैसे अश्लीलता की बहार आई हुई है। नए ज़माने में हर दूसरे मिनिट में कुछ ऊटपटांग आ जाता है। अगर ऐसे टीवी बंद या म्यूट करने लगे तो टीवी चल ही नहीं पाएगी। तो आइए जानते हैं ऐसी कुछ बातें जब नए जमाने के पैरेंट्स का भी मन करता है टीवी म्यूट करने का।

 

कॉन्डोम का विज्ञापन: ये क्या है! कुछ शर्म लिहाज है कि नहीं! पैरेंट्स की भारी मुसीबत है। हद तो तब है जब न्यूज चैनल खोलकर बैठे पैरेंट्स को अचानक से मूड बनाने जैसे विज्ञापन देखने को मिल जाते हैं। किससे कहें अपना दुखड़ा, ज्ञान की बात समझकर अश्लीलता का घूँट चुपचाप पी जाते हैं। यकीन जानिए इस दौरान हक्के बक्के पैरेंट्स किस और बात से सबका ध्यान भटका दें सोच ही नहीं पाते और ऐसे फूहड़ विज्ञापन बिना किसी रूकावट के चलते ही रहते हैं।

 

सेनेटरी पैड: पैरेंट्स के मुताबिक़ हमें भी पता है ये जरूरी चीज है। अब तो फिल्म भी बन गयी है। खुलकर बात होनी चाहिए लेकिन ये क्या है ये विज्ञापन देने वाले न टाइम देखते हैं न मौक़ा! हर समय हर तरह की बात नहीं की जानी चाहिए लेकिन इन्हें रोक कौन सकता है।

 

 

गाली गलौच: इंडियन पैरेंट्स बेचारे बच्चों को सुसभ्य बनाना चाहते हैं और टीवी उनके इस काम में खलल डाल रही है। पैरेंट्स और बच्चे आधे तो इस बीप से परेशान है। दो डॉयलोग आए नहीं कि बीप। पैरेंट्स परेशान हैं क्योंकि उन्हें पता है कि बीप के बावजूद बच्चे गालियां समझ रहे हैं और शायद कहीं ना कहीं इस्तेमाल भी कर रहे हैं।

 

किसिंग: प्यार हुआ इकरार हुआ प्यार से फिर क्यों डरता है दिल। अब ज़माना ये हैं कि टीवी के प्यार से प्रेमियों का नहीं बच्चों के पैरेंट्स का दिल डरता है। प्यार तुम्हे हुआ हमारे बच्चों को क्यों बिगाड़ रहे हो। खुलेआम किसिंग सीन दिखाने की क्या जरूरत है। एक वो ज़माना था जब पत्तों और फूलों से प्यार और निकटता पता चल जाती थी। अब ज़माना खुल्लम खुल्ला सब कुछ दिखाने का है। सिम्बॉलिक कुछ नहीं रहा।

 

लव मेकिंग: इससे भारी परेशान है। कोई विलेन है तो उसे प्यार के नाम पर फ़ायदा उठाते दिखाना जरूरी है क्या ? इंडियन पैरेंट्स तो परेशान हो रहे हैं? इन्हें कोई ख्याल नहीं। कोई और तरह के क्राइम की भी सोच लो विलेन जी।
यह प्रेमियों को भी क्लोज होना है अब करें तो क्या करें।

साभार- webdunia.com

 

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