आखिर वाराणसी से चुनाव क्यों लड़ना चाहता है माफिया अतीक अहमद?

उत्तर प्रदेश वाराणसी

उत्तर प्रदेश,वाराणसी: माफिया अतीक अहमद के वाराणसी से चुनाव लड़ने के फैसले की घोषणा के बाद आम लोगों के जेहन में ये सवाल उठने लगा है कि आखिर अतीक वाराणसी से चुनाव क्यों लड़ना चाहता है ?  क्या अतीक के चुनाव लड़ने से वाराणसी के चुनाव पर कोई असर पड़ेगा?

इसके पीछे अलग-अलग तर्क हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना है कि अतीक अहमद के चुनाव लड़ने से वाराणसी के चुनाव पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है।

वाराणसी के वरिष्ट पत्रकार रत्नेश राय का मानना है कि अतीक जिस अल्पसंख्यक समुदाय से आता है उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बड़ी नाराजगी है। ऐसे में वाराणसी से चुनाव लड़ने की घोषणा से अतीक उस तबके से सहानुभूति बटोरना चाहता है।

रत्नेश का मानना है कि अपराध की दुनिया का पूरा खेल ग्लैमर से चलता है। ऐसे में वाराणसी से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद अतीक अचानक चर्चा में आ जाएगा, जिसका वो फायदा लेना चाहेगा।

सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद इसकी उम्मीद कम है कि वह चुनाव लड़ सके। लेकिन वाराणसी के दूसरे वरिष्ठ पत्रकार एके लारी, रत्नेश राय के बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। लारी साहब का मानना है कि अतीक अहम के पीछे राज्य सरकार का हाथ हो सकता है, क्योंकि जिस तरह अतीक अहमद को अचानक बरेली जेल से नैनी जेल शिफ्ट किया गया वो बिना सरकार की मर्जी के नहीं हो सकता।

लारी का कहना है कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव और फुलपुर लोकसभा उप चुनाव में अतीक की भूमिका को देखते हुए बीजेपी उसका सही इस्तेमाल करना चाहती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के रुख के बाद पूरा खेल बदल गया है।

अतीक मुस्लिम समुदाय की जिस गद्दी विरादरी का नेता है उसका प्रभाव सिर्फ इलाहाबाद और फुलपुर के आसपास ही है। ऐसे में वाराणसी से अतीक के चुनाव लड़ने के फैसले से वाराणसी की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।

अगर असर पड़ेगा तो भी इलाहाबाद और फुलपुर लोकसभा सीटों पर, जिसकी उम्मीद भी कम है। ऐसे में अतीक को वाराणसी से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद मीडिया में सुर्खियां बटोरने के सिवाय कुछ नहीं मिलने वाला है।

 

……….सरफ़राज़ अहमद

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