अहमदाबाद राज्य में द्वारका के रूपेण बंदरगाह से मछली मारने पर रोक होने के बाद भी तूफानी हवाओं और अतिवृष्टि में मछली पकड़ने गये 24 मछुआरों के साथ छह बोट लापता हो गयी थी। इनमें से सात के शव मिले और तीन मछुआरे 30 घंटों तक तूफान से टक्कर लेकर किनारे पहुंचे। अभी तक आठ मछुआरे लापता हैं। इनकी तलाश के लिए अभियान शुरू किया गया है सात मछुआरों की मौत से यहां मातम का माहौल हैं।
जिला कलेक्टर ने 10 जून से 15 अगस्त के दौरान समुद्री तूफान की दहशत के कारण मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाया है। फिर भी दो दिन पूर्व 11 अगस्त को 150 बोट के साथ मछुआरे रूपेण बंदरगाह से मछली पकड़ने के लिए गये। इनमें से अधिकांश मछुआरे अपनी नावों के साथ बंदरगाह पर वापस आ गये, परन्तु छह बोट के साथ 24 मछुआरे 12 अगस्त की शाम तक वापस नहीं आये।
इसी दौरान देर शाम तक एक मछुआरे का शव तथा एक जिंदा वापस आ गया। उसके बाद सोमवार को मेमूद गफूर समा तथा रवि अशोक चौहान समुद्री तूफान से 30 घंटे तक संघर्ष कर ओखामढ़ी पहुंचे। उन्हें 108 द्वारा चिकित्सा के लिए द्वारका के सरकारी अस्पताल ले जाया गया।
साबिर जूमा लुचाणी, मोन्टू मद्रासी, अलताब अखू, और रफिक यौम के शव ओखामढ़ी और गोरीजा गाँव के समुद्र तट से मिले। पुलिस इनका शव हस्तगत कर पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल ले आयी। इसके बाद देर शाम ओखामढ़ी से दो अन्य मछुआरों का शव मिल गया। इस प्रकार देर शाम तक सात मछुआरों का शव मिल गया। इस घटना से ईद का त्योहार मातम में तब्दील हो गया। इस घटना में अन्य आठ मछुआरों की तलाश शुरू कर दी गई हैं।