Uttar Pradesh Pollution Control Board ने पर्यावरण क्षतिपूर्ति को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। शहर की नौ पान मसाला समेत प्रदेश की 67 पान मसाला और गुटखा इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उनपर करीब 15-15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और बंदी का आदेश जारी हुआ है। बोर्ड की ओर से इकाइयों का नोटिस जारी किया जा रहा है। उसमें कनसाइनमेंट रद करने का जिक्र है।
पान मसाला कंपनियों के distributor से लेकर, होलसेलर, दुकानदार से होकर उपभोक्ता के पास पहुंचता है। उपभोक्ता पान मसाला और गुटखा का सेवन कर उसके पैकेट बाहर फेंक देते हैं। धीरे-धीरे कर खाली पैकेट जमीन और पानी में एकत्रित हो रहे हैं। यह स्थिति दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। पान मसाला के पैकेट Multilayer packaging की प्लास्टिक से निर्मित हैं। यह बिल्कुल भी गलते और सड़ते नहीं है। कूड़ा और करकट का रूप ले लेते हैं।
बोर्ड मुख्यालय की ओर से इकाइयों को पैकेट के प्रबंधन के लिए डीपीआर बनाने का निर्देश जारी हुआ था। पान मसाला इकाइयों की ओर से किसी भी तरह की डीपीआर की जानकारी नहीं दी गई। उन्हें डीपीआर में बताना था कि बाजार में जितने भार की पॉलीथिन जा रही है, उसके प्रबंधन की क्या व्यवस्था है। एक्सटेंडेंट प्रोड्यूसर रिस्पांसिब्लिटी क्या है।
पान मसाला इकाइयों के मालिकों के लिए पिछले दिनों कार्यशाला भी आयोजित की गई। उन्हें विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी के बारे में बताया गया। यूपीपीसीबी के मुख्य पर्यावरण अधिकारी अमित चंद्रा ने बताया कि पान मसाला कंपनियों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नोटिस जारी हुआ है। उनके ऊपर भारी भरकम जुर्माना लगा है। कंसाइनमेंट रद्द कर बंदी की कार्रवाई की जाएगी।