कोर्ट के बाहर सुलझ सकता है अयोध्या मामला

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Supreme court में सुनवाई के बीच अयोध्या मामले ने रोचक मोड़ ले लिया है। कोर्ट में लगभग 3 हफ्ते की सुनवाई के बाद अब हिन्दू और मुस्लिम पक्ष एक फिर से कोर्ट के बाहर इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं। इसके लिए दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता पैनल को पत्र लिखा है।

Supreme court में कुल 14 अपीलें, तीन रिट पीटिशन और एक अन्य याचिका लंबित है। सुनवाई की शुरूआत मूल वाद संख्या 3 और 5 से हुई। मूल वाद संख्या 3 निर्मोही अखाड़ा और मूल वाद संख्या पांच भगवान रामलला विराजमान का मुकदमा है। साल 2010 में इलाहाबाद High Court ने राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस दौरान एक हिस्सा भगवान रामलला विराजमान, दूसरा निर्मोही अखाड़ा व तीसरा हिस्सा Sunni Central Waqf Board को देने का आदेश था। इस फैसले को  हिन्दू मुस्लिम सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। Supreme court में ये अपीलें 2010 से लंबित हैं और कोर्ट के आदेश से फिलहाल अयोध्या में यथास्थिति कायम है।

पिछले महीने छह August से इस केस की रोजाना सुनवाई जारी है। 23 दिन की सुनवाई में हिन्दू पक्ष की दलील पूरी हो गई है। इस समय मुस्लिम पक्ष अपना दलील रख रहा है। पांच जजों की संविधानपीठ में रंजन गोगोई के अलावा एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।

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