चांद पर अब लैंडर विक्रम से संपर्क होने की सारी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। ISRO चीफ के सिवन ने शनिवार को ये जानकारी दे दी थी। लैंडर से संपर्क न हो पाने के बाद अब उसमें बंद रोवर प्रज्ञान भी बाहर नहीं निकल पाएगा।
यदि विक्रम की Landing ठीक हो जाती तो रोवर प्रज्ञान उसमें से बाहर निकलता और कई तस्वीरें और अन्य सूचनाएं ISRO के Control Room को भेजता। अब इन सभी संभावनाओं पर विराम लग गया है।
शनिवार से ही चांद पर तापमान में गिरावट शुरु हो गई है, लैंडर विक्रम में लगी बैट्रियों को किसी भी तरह से ऊर्जा नहीं मिल पाएगी ऐसे में लैंडर काम नहीं कर पाएगा जिससे उसके अंदर बंद प्रज्ञान रोवर भी बाहर नहीं निकल पाएगा।
चांद पर तापमान शून्य से भी कई डिग्री तक नीचे चला जाता है। ऐसे में अब लैंडर को किसी भी तरह से ऊर्जा मिलने की संभावना एकदम ही खत्म हो गई है। ISRO चीफ के सिवन ने भी अब इस बात को मान लिया है कि लैंडर विक्रम से संपर्क की सारी उम्मीदें खत्म हो चुकी है।
अब अगले Gaganyaan के लिए तैयारियां शुरू कर की जा रही है। आर्बिटर सटीक तरीके से काम कर रहा है और वो अगले 7 साल तक चंद्रमा के चक्कर काटकर सूचनाएं देता रहेगा। इससे अध्ययन में सहूलियत होगी।