अंतरराष्ट्रीय नेत्र चिकित्सा सम्मेलन में पहली बार शामिल किए गए नेत्र सहायक

कानपुर

Mobile के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चो की आंखें ड्राईनेस और कमजोर हो रही हैं। आंखों को ड्राईनेस से बचाने के लिए हर मिनट 12 से 16 बार पलकें झपकाएं और 20-20 मिनट में इधर-उधर देखें। Association of Community Ophthalmologists of India, Uttar Pradesh Ophthalmologists Society, Kanpur Ophthalmologists Society के तरफ से युवा नेत्र सर्जनों, परास्नातक छात्रों नेत्र सहायको की प्रशिक्षण कार्यशाला में शुक्रवार को एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. डीजे पांडेय ने यह जानकारी दी। कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के साथ ही बंगलादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान तक के युवा डॉक्टर प्रतिक्षित किए जा रहे हैं।

जीटी रोड स्थित एक होटल में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्धाटन मुख्य अतिथि राज्यमंत्री नीलिमा कटियार ने किया। उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिक से अधिक करने पर जोर दिया। आयोजन समिति के चेयरमैन डॉ. अवध दुबे ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय नेत्र चिक्त्सा सम्मेलन में पहली बार नेत्र सहायकों को शामिल किया गया है। इन्हें भी प्रशिक्षित किया जाएगा।

डॉ. सुकांत पांडेय ने बताया कि ओसीटी से आंख के परदे (रेटिना) में होने वाली बीमारियों का सूक्ष्म अध्ययन आसान हो गया है। डॉ. सोनाली भल्ला ने सबलबाई से नस में पड़ने वाले प्रभाव की जांच, डॉ. डीजी पांडेय ने भेंगापन, डॉ. अश्वनी कुमार ने लो विजन एड्रस, डॉ. परिजात चंद्र ने रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी, डॉ. लोकेश अरोड़ा व डॉ. कुलदीप विश्वकर्मा ने फेको विधि व एसआईसीएस विधि से मोतियाबिंद के आपरेशन के बारे में बताया। डॉ. केपेएस मलिक ने भी जानकारी दी। डॉ. मोहित खत्री ने बताया कि इंट्राविटरल इंजेक्शन से दवाएं इंजेक्ट करना परदे में सूजन, संक्रमण रोकने में सहायक होता है। आयोजन समिति के सचिव डॉ. शांतनु माथुर, मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता, डॉ. स्वप्न सामंता, डॉ.एएम जैन, डॉ. शरद, डॉ. आरएन कुशवाहा, डॉ. गौरव दुबे आदि शामिल रहे।

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