बिलसंडा में 118 वर्षीय संत हुए ब्रह्मलीन, भक्तों का उमड़ा शैलाब

पीलीभीत

सुप्रसिद्ध गौरीशंकर महादेव मंदिर सिबुआ के संत श्री श्री 1008 श्री स्वामी सिद्धेश्वर गिरी जी महाराज ने शुक्रवार को अपराह्न् करीब 1:20 बजे अंतिम सांस ली। स्वामी जी 118 वर्ष के थे। स्वामी जी का जन्म वर्ष 1901 में हुआ था।

उन्होंने बालयोगी जीवन व्यतीत कर एक लंबी आयु के जीवन का सुख प्राप्त किया। उनके जीवन का तरीका अदभुत था। स्वामी जी के देहवासन की खबर सुनकर देश के कोने कोने से उनके संत जीवन के साथी अंतिम दर्शन को दौड़ पडे। गुरु जी ने अपना जीवन पूरी तरह ईश्वरीय अराधना में लीन रखा। गुरु जी कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे।

उनका गहन उपचार कराया जा रहा था। अंतिम समय में भी उनके शिष्य आनंदेश्वर गिरी जी उर्फ लाल बाबा ने पूरी ताकत महाराज जी के प्राण रक्षा के लिए पूरी कोशिश जारी रखी। चिकित्सकों के जबाव देने के बाद भी स्वामी जी के उपचार का प्रबंध मंदिर में भी कराया गया। लेकिन ईश्वर को शायद स्वामी जी के जीवन की यही सांसे मंजूर थी। स्वामी जी के परिवार का विश्लेषण नहीं मिल पाया है लेकिन उनका बचपन का निवास इटावा बताया जाता है।

राष्ट्रपति रहे शंकर दयाल शर्मा के संगे भतीजे भी ढाई दशक पूर्व मंदिर पर मिलने आते थे। उनके गुरु भाई थे। गुजरात, उत्तराखंड, विहार सहित कई प्रांतों से स्वामी जी के भक्त पधार रहे हैं। यूपी के कई जिलों से भी भक्तों का आना हो रहा है। स्थानीय भक्तों की भीड़ भी उमड़ रही है। नगर की तमाम बाजार भी स्वामी जी के शोक में बंद रही।माना जा रहा है कि स्वामी जी की उम्र के जिले में‌ शायद कोई अन्य संत हो।

गुरु जी के शिष्य आनंदेश्वर गिरी लाल बाबा जी के मुताबिक गुरु जी की अंतिम शोभायात्रा शनिवार को प्रात: ९ बजे मंदिर प्रांगण से शुरू होकर पूरा बिलसंडा नगर में विचारण करेगी, उसके बाद अपराह्न २ बजे स्वामी जी को समाधि दिलाई जायेगी। उम्र की लंबी बैतरणी पार करने वाले साफ स्वच्छ छवि और ईश्वरीय शक्ति में हर पल लीन रहने वाले सच्चे और अनमोल संत को कोटि-कोटि नमन।

रिपोर्ट मुकेश सक्सेना यूपी सिंह चौहान

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