पेट्रोलियम पदार्थों को माल एवं सेवा कर के दायरे में लाने के लिए तैयार वित्त मंत्रालय

अर्थ जगत

पिछले सवा 2 वर्ष से लोग इस बात की उम्मीद लगाए हैं कि Petrol और Diesel को GST के दायरे में लाने के साथ उनके दाम में कमी आएगी लेकिन मौजूदा स्थिति को देखें तो आम आदमी को इस मोर्चे पर कोई राहत मिलने के संकेत नहीं हैं। GST Council में राज्यों के प्रतिनिधि इन उत्पादों को नई टैक्स व्यवस्था में लाने ही नहीं देना चाह रहे हैं।

इसकी वजह यह है कि Petrol और Diesel से राज्यों को बड़ा राजस्व मिलता है, क्योंकि दोनों उत्पादों पर राज्यों द्वारा लगाया जा रहा टैक्स बहुत ज्यादा है। GST संग्रह की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ज्यादातर राज्य Petrol-Diesel से हासिल राजस्व में कोई कमी नहीं चाहते हैं।

वित्त मंत्रालय मोटे तौर पर तो इन दोनों समेत अन्य पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने के पक्ष में है। लेकिन वह अपनी तरफ से राज्यों पर दबाव बनाने की स्थिति में खुद को नहीं पा रहा है। GST काउंसिल की पिछली दोनों बैठकों में जब भी इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की गई तो राज्यों ने उसे एक सिरे से खारिज किया है।

पिछले एक वर्ष में भाजपा ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अब महाराष्ट्र में सत्ता गंवा दी है। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 7 महीनों के दौरान GST संग्रह अनुमान से कम रहा है। ऐसे में पेट्रोलियम उत्पादों को GST में शामिल होने से उनकी आमदनी का यह स्नोत भी प्रभावित हो जाएगा।

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