यह तीसरा साल है जब गुरु पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है चंद्रग्रहण, जानें किस तरह पड़ेगा इसका असर

ज्योतिष

5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा दिवस के रूप में जाना जाता है। परम्परागत रूप से यह दिन गुरु पूजन के लिये निर्धारित है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। गुरु, अथार्त वह महापुरुष, जो आध्यात्मिक ज्ञान एवं शिक्षा द्वारा अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करते हैं।

गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरुःसाक्षात् परम ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

गुर बिनु भव निधि तरइ न कोई ।
जौं बिरंचि संकर सम होई ⁠।⁠।

तेइ दोउ बंधु प्रेम जनु जीते ।
गुर पद कमल पलोटत प्रीते ⁠।⁠।

श्री गुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धि हीन तनु जानके, सुमिरौ पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार।।

इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लगने जा रहा है. यह तीसरा साल है जब गुरु पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लग रहा है। 5 मई को लगने वाला चंद्रग्रहण उपच्छाया होगा। जो भारत में नजर नहीं आएगा। इसलिए ग्रहण से पहले सूतक काल मान्य नहीं होगा। गुरु पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है चंद्रग्रहण। यह तीसरा साल है जब गुरु पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लग रहा है।


गुरु पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण (lunar eclipse 2020) का समय । चंद्र ग्रहण आरंभ: 08:38 सुबह, परमग्रास चन्द्र ग्रहण: 09:59 सुबह, चंद्र ग्रहण समाप्त: 11:21 सुबह, ग्रहण अवधि: 02 घण्टे 43 मिनट 24 सेकेंड, गुरु पूर्णिमा के दिन लगने वाला चंद्रग्रहण भारत के संदर्भ में बहुत ज्यादा प्रभावशाली नहीं होगा। क्योंकि यह एक उपच्छाया चंद्रग्रहण है और यहां दिखाई भी नहीं देगा। यह ग्रहण धनु राशि पर लगने वाला है तो इस दौरान धनुराशि वाले लोगों का नम कुछ अशांत रह सकता है।

क्या होता है उपछाया

उपछाया चन्द्रग्रहण के दौरान सूरज और चंद्रमा के बीच जब पृथ्वी घूमते हुए आती है, तो यह तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं। इस स्थिति में चंद्रमा की छोटी सी सतह पर अंब्र’ नहीं पड़ती है। अंब्र’ पृथ्वी के बीच से पड़ने वाली छाया को कहा जाता है. चंद्रमा के शेष हिस्से में पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया पड़ती है। इस कारण ही इसे उपछाया कहा जाता है।

रिपोर्ट जितेन्द्र यादव

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