महिलाओं के बुर्का पहनने पर जहां शिवसेना की पहल के बाद बहस शुरू हो गई है वहीं दूसरी तरफ इस मांग का विरोध होना भी तय माना जा रहा है। इसका विरोध करने वाले शिवेसेना की मांग को कट्टरवादी सोच और सियासी फायदा करार दे सकते हैं, लेकिन इसके बाद भी यह सवाल काफी बड़ा है, जिसका जवाब तलाशना भी बेहद जरूरी है।
जहां तक शिवसेना की बात है तो वह इससे पहले भी इस तरह की मांग कर चुकी है। लेकिन अब इसकी शुरुआत श्रीलंका से हुई है। श्रीलंका में आतंकी हमले के बाद वहां की सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद ही शिवसेना ने भारत में इसको बैन करने की मांग की है। इतना ही नहीं दुनिया के कई देश जिसमें यूरोपीय देश ज्यादा है जिसने बुर्का प्रतिबंधित किया हुआ है।
पिछले वर्ष अगस्त में आस्ट्रेलियाई सांसद पॉलिन हेनसन ने भी देश में बुर्का पहनने पर रोक लगाने की मांग की थी। वह उस वक्त सुर्खियों में आई थी जब वह पार्लियामेंट में बुर्का पहनकर आईं।
ऐसे में कुछ सदस्यों ने इसका विरोध किया, जिसमें बाद हेनसन ने अपनी पहचान उजागर करते हुए बुर्का उतार दिया और सदस्यों से बुर्का प्रतिबंधित करने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि देश में एशियाई नागरिकों की संख्या बढ़ने के चलते वह यह मांग कर रही हैं।