घोटाले का हुआ पर्दाफाश, आयकर अफसर समेत तीन को सजा

मेरठ में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रिटर्न फाइल करने के घोटाले के मामले में पूर्व आयकर विभाग अधिकारी समेत तीन को सजा सुनाई गई है।सीबीआई की विशेष अदलत में मंगलवार को विशेष न्यायधीश राजेंद्र प्रसाद ने अभियुक्ता को चार से लेकर पांच साल तक की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने तीन अभियुक्तों पर अलग-अलग जुर्माना भी लगाया है।

कोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक 2001 मेरठ के आयकर के तीन वकीलों ने 60 से अधिक लोगों के नाम फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर उनके फंड रिटर्न क्लोम के लिए आवेदन किया। आरोप है उन्होंने मेरठ के ही रहने वाले 60 लोगों को बिना बताए उनका आवेदन करा दिया।

आयकर विभाग के पूर्व अधिकारी एसपी वर्मा ने वकीलों दवारा किए गए 60 आवेदन बिना किसी जांच के और अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर स्वीकृत कर दिए, जिससे वकीलों ने 4,40,866 का रिटर्न फंड ट्रांसफर करा लिया था। इससे सरकार को आर्थिक हानि हुई।

आयकर विभाग में डिस्पैच करने वाले कर्मचारी मुन्न लाल ने आयकर के रिटर्न तीनों वकीलों के पते पर भेज दिए थे। सीबीआई ने हेराफेरी की सूचना मिलने के बाद तीनों वकील व आयकर अधिकारी और  कर्मचारी के खिलाफ वर्ष 2002 में मुकदमा दर्ज किया, जिसके बाद सीबीआई ने 13 दिसंबर 2002 में पांच के खिलाफ चार्जशीट पेश की।

अदालत में केस के विचारण के दौरान दो अभियुक्त वकीलों की मौत हो चुकी है। सीबीआई की ओर लोक अभियोजक मीनू तंवर ने सजा पर बहस करते हुए अधिक से अधिक सजा मांग की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने पूर्व आयकर अधिकारी शिव प्रसाद वर्मा को चार साल की सजा और 31 हजार जुर्माना, अभियुक्त महेश बंसल को पांच साल की सजा और 51 हजार का जुर्माना और अभियुक्त कर्मचारी मुन्ना को चार साल की सजा सुनाई।

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