नए वित्तीय वर्ष में आयकर विभाग ने परंपरागत तरीके से हटकर काम करने की रणनीति बनाई है। छापे और सर्वे से ज्यादा इस वर्ष उन रास्तों को बंद करने पर ध्यान दिया जाएगा। जहां से टैक्स की चोरी धड़ल्ले से हो रही है। उन पर किसी की नजर नहीं है। इसी कड़ी में टीडीएस चोरी का एक रास्ता जिला पंचायत अधिकारी के जरिये ग्राम पंचायतों से टीडीएस का हिसाब मांगेंगे।
टीडीएस चोरी के मामले में यूपी और उत्तरेखंड कुख्यात होता जा रहा है। कुछ माह पहसे उत्तराखंड के हलद्वानी व अन्य जिलों में सरकारी विभागों में टीडीएस के नाम पर करोड़ों रुपये का घपला उजागर हुआ तो आयकर विभाग के कान खड़े हुए। इसके बाद प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त प्रमोद कुमार गुप्ता ने अपने अधिकार क्षेत्र में आते सभी मुख्य आयकर आयुक्त को सरकारी विभाग में टीडीएस कटौती की स्थिति पता करने के निर्देश दिए।
कि प्रत्येक जिले में जिला पंचायत अधिकारी के कार्यालय में हर साल बड़े पैमाने पर टीडीएस की चोरी हो रही है। अज्ञानता के बहाने अधिकारी जानबूझकर टीडीएस की कटौती नहीं कर रहे है। इस खुलासे के बाद आयकर विभाग ने फैसला किया है।
कि वित्तीय वर्ष 2019–20 में यूपी और उत्तराखंड के सभी ग्राम पंचायत अधिकारी कार्यालयों से टीडीएस का हिसाब मांगा जाएगाए। पहले चरण में टीडीएस कटौती के तौर तरीके बताए जाएंगे। इसके बाद प्रत्येक तिमाही काटा गया टीडीएस जमा कराया जाएगा। माना जा रहा है सिर्फ जिला पंचायत अधिकारी कार्योलयों से करीब 500 करोड़ रुपये टीडीएस जमा कराया जा सकता है।