नहीं मिली मदद तो पड़ जाएंगे वेतन के लाले

छावनी बोर्ड की हालत खस्ता हो गई है। बोर्ड को जल्द रक्षा मंत्रालय या अन्य रक्षा-प्रतिरक्षा संस्थानों से वित्तीय मदद न मिली तो यहां कार्यरत कर्मचारियों को मई में वेतन के लाले पड़ सकते हैं। रक्षा मंत्रालय से बोर्ड को प्रतिवर्ष आने वाली मदद के लिए पत्र लिखा जा रहा है। सर्विस चार्ज का बकाया न देने वाले संस्थानों से भी पत्रचार किया जा रहा है।

छावनी बोर्ड की मुख्य आय का जरिया यहां स्थित रक्षा प्रतिरक्षा प्रतिष्ठानों से मिलनें वारा सर्विस चार्ज है। इसके अलावा बोर्ड की आमदनी का कोई खास जरिया नहीं है। करीब चार करोड़ रुपये प्रतिमाह कर्मचारियों के वेतन, फंड आदि पर खर्च होते है। कुछ समय पहले बोर्ड को ओईएफ और ओपीएफ से पांच करोड़ 50 लाख मिले थे। जिसमें से चार करोड़ से अधिक रुपये कर्मचारियों के अप्रैल महीने के वेतन पर खर्च हो चुके हैं। इस समय बोर्ड की माली हालत अच्छी नही है।

रेलवे से करीब 17 करोड़ रुपये सर्विस चार्ज के मिलने थे, लेकिन अभी तक मिल नहीं पाएं है। जबकि ओईएफ,ओपीएफ ने भी पूरा भुगतान नहीं किया है। जिसके चलते बोर्ड की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। डीआरडीओ से 30 करोड़ रुपये मिलने थे। लेकिन अब तक नहीं मिले हैं। इसी तरह रक्षा मंत्रालय वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में 20 करोड़ रुपये जारी कर देता था।

जिसे अब तक जारी नहीं किया गया। बोर्ड के सीईओ हरेंद्र सिंह ने बताया कि बोर्ड की आर्थिक हालत अच्छी नहीं हैं।मई में वेतन मद के लिए फंड नहीं है। रक्षा मंत्रालय से मिलने वाली सहायता के लिए पत्र लिखा जा रहा है इसके अलावा बोर्ड के सर्विस चार्ज के बकायेदारों से भी बकाया भुगतान के लिए पत्राचार कर रहे हैं। बोर्ड के उपाध्यक्ष लखन ओमर ने बताया कि फंड जुटाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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