लखनऊ–लखनऊ पुलिस आयुक्त से मिलने के लिए पत्रकारों को बेलने पड़ रहे है पापड़ l पुलिस के पी आर ओ के टेस्ट मे जो पत्रकार पास हो जाता है वही कमिश्नर साहब से मिल सकता है यही नहीं गैर मान्यता प्राप्त पत्रकार को अगर मीडिया ऐक्ट की जानकारी नहीं है तो भी वाह साहब से नहीं मिल सकता l ताज़ा मामला जुड़ा है (उपजा )उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन से l उपजा का एक शिष्ट मण्डल पुलिस आयुक्त लखनऊ से मिलने के लिए प्रयास कर रहा था।
काफ़ी मशक्कत करने के बाद कमिश्नर साहब से मंगलवार 23.6.2020 को मिलने का अवसर प्राप्त हुआ मगर कमिश्नर साहब से मिलने से पहले उपजा के शिष्ट मण्डल के सदस्यों मे एक सदस्य को पी आर ने अपने कक्ष मे बुलाया और फिर शुरू हुआ सवालों का सिलसिला l पहला सवाल क्या आप मान्यता प्राप्त है? दूसरा सवाल-क्या आप ने मीडिया ऐक्ट पढ़ा है? तीसरा सवाल-ये उपजा क्या है? और ऐसे कई सवाल पी आर ओ महोदय ने पूछे और जब पत्रकार ने उपजा मे अपनी सदस्य्ता कार्ड दिखाया तो मूर्धन्य पी आर ओ ने यह कह कर उपजा का कार्ड फेंक दिया ।
कि ऐसे फ़र्ज़ी कार्ड बहुत से लोग लेकर घूमते रहते है l यही नहीं कमिश्नर के पी आर ओ ने उपजा के सदस्यों को जेल भेज देने की धमकी भी दी l इस घटना की जानकारी उपजा के प्रदेश अध्यक्ष को जब हुई तो प्रदेश अध्यक्ष ने इस प्रकरण को पुलिस आयुक्त सुजीत कुमार पांडे के समक्ष रखने की बात कही है l ऐसे मे आम जन मानस के मन मे कई सवाल भी खड़े होते है कि जब कमिश्नर से मिलने के लिए पत्रकारों को इतनी मशक्कत करनी पडती है तो आम जनता को कमिश्नर से मिलने उतनी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता होगा जबकि पत्रकारों का यह हाल है ।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी बार अपने मातहतों को नसीहत देते रहते है कि चाहे प्रशासनिक पदों पर बैठे हो या फिर किसी उच्च पद बैठे अधिकारी हो जनता और पत्रकारों के साथ उनका ब्यवहार हो लखनऊ पुलिस आयुक्त के पी आर ओ द्वारा देश के चौथे स्तम्भ पर एक दमनकारी प्रहार है l