गोरखपुर:- गोरखपुर में शौचालयों के निर्माण पर करीब सात अरब रुपये खर्च हो गए। अधिकारियों ने गांवों को ओडीएफ भी घोषित कर दिया पर शौचालयों का पूरी तरह से निर्माण नहीं हो पाया। जनपद के सभी राजस्व गांवों को कागज में ओडीएफ यानि खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है, लेकिन पंचायती राज विभाग का यह दावा हकीकत से कोसों दूर है। आंकड़ों की बाजीगरी में तो पंचायती राज विभाग ने बाजी मार ली, लेकिन वास्तव में गांवों को ओडीएफ बनाना विभाग के लिए अब भी बड़ी चुनौती है। दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां लोग लोटा लेकर खेत में और सड़क किनारे जाते हैं। इसकी प्रमुख वजह उनके घरों में शौचालय का आधा-अधूरा निर्माण या नहीं बनना है।
यहां पर ऐसे हुआ है खेल
विकास खंड भटहट की ग्राम पंचायत जंगल डुमरी नंबर एक में 1407 शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य था। इनमें 343 शौचालय बने ही नहीं, इस कारण इनके फोटो अपलोड नहीं हो सके हैं। आश्चर्यजनक पहलू यह है कि खाते में 40 लाख की जगह मात्र छह लाख रुपये ही शेष हैं। बिना शौचालय निर्माण के धनराशि निकालने पर सभी मौन हैं। लंगड़ी गुलरिया में भी कमोबेश यही स्थिति है। यहां भी 677 के सापेक्ष 491 शौचालयों का ही निर्माण हो सका है। शौचालय मद में 22 लाख की जगह छह लाख ही शेष हैं। 16 लाख की धनराशि का कोई हिसाब नहीं है। करमहा बुजुर्ग में भी 1072 शौचालयों का निर्माण होना था। यहां 154 शौचालय नहीं बने। खाते में 18 लाख की जगह एक लाख रुपये शेष हैं। जनपद में सैकड़ों शौचालय अधूरे पड़े हैं।
विकास खंड सहजनवां का महुआपार ओडीएफ घोषित है, लेकिन यहां स्वच्छ भारत मिशन के तहत 447 के सापेक्ष 350 शौचालयों का ही निर्माण हो सका है। यहां एलओबी (लेफ्ट आउट बेनेफिशियरी) के तहत 45 शौचालय बनाए जाने थे। इसमें 28 का ही निर्माण हुआ, जबकि सभी शौचालयों की धनराशि खाते में भेज दी गई। लाभार्थी प्रियंका का कहना है कि उनका शौचालय अब भी अधूरा है। कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। पिपरौली विकास खंड के मल्हीपुर गांव में भी 298 के सापेक्ष 266 शौचालय बन सके हैं। 32 शौचालयों का निर्माण अधूरा है। विकास खंड बड़हलगंज के मरकड़ी ग्राम पंचायत के श्रवण केवट, बेसहनी, हरिश्चंद्र, नगीना, अजय व विजय समेत दर्जनों लोगों के शौचालयों का निर्माण अधूरा पड़ा है। जिला पंचायत सदस्य एसपी सिंह व पंकज शाही का कहना है कि कई घरों में शौचालय नहीं बने या अधूरे हैं, तो किस आधार पर गांवों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। इसकी जांच होनी चाहिए।
प्रधानों और ग्राम सचिव स्तर पर हुई लापरवाही
2012 बेस लाइन सर्वे के मुताबिक एसबीएम (स्वच्छ भारत मिशन) के अंतर्गत कुल 5,27,319 शौचालयों के निर्माण के लिए छह अरब 32 करोड़ 78 लाख 28 हजार जारी हुए। इनमें करीब 20 हजार परिवार ऐसे थे जो मौके पर नहीं मिले। इन शौचालयों की धनराशि ग्राम पंचायतों से पंचायती राज विभाग को वापस लेनी है, जो मुश्किल लग रहा है। 507319 शौचालयों के निर्माण पर छह अरब आठ करोड़ 78 लाख 28 हजार रुपये खर्च हुए। शौचालय निर्माण के लिए जो धनराशि गांवों को भेजी गई, उसके आवंटन में भी ग्राम प्रधानों व सचिवों के स्तर पर बड़ी लापरवाही बरती गई है।
स्वच्छ भारत मिशन
वर्ष —- शौचालय निर्माण
2014-15 — 14382
2015-16 — 17394
2016-17 — 30716
2017-18 — 265750
2018-19 — 199077
कुल 527319 शौचालय निर्माण
जिले के सभी शौचालयों को फिर होगा सत्यापन
इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी हर्षिता माथुर का कहना है कि प्रकरण संज्ञान में आया है। मामला अत्यंत ही गंभीर है। इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जनपद में सभी शौचालयों का एक बार फिर सत्यापन कराया जाएगा, जिससे स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो सके।
रिपोर्टर बीपी पाण्डेय