जानिए नवरात्रि कब से होंगे प्रारम्भ तथा किस दिन कौन देवी की होगी पूजा

ज्योतिष

आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना को समर्पित नवरात्रि मुख्यत: वर्ष में 2 बार आती है। एक वासंतिक नवरात्रि और दूसरा शारदीय नवरात्रि। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि यानी वासंतिक नवरात्रि का प्रारंभ 25 मार्च दिन बुधवार से हो रहा है।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ होता है। इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी 25 मार्च से विक्रम नवसंत्सवर 2077 का प्रारंभ होगा। इस प्रकार से देखें तो चैत्र नवरात्रि और हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ एक ही दिन हो रहा है।

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से प्रारंभ होकर 02 अप्रैल तक रहेगी। 02 अप्रैल को नवमी ति​थि होगी। 03 अप्रैल को दशमी के साथ नवरात्रि का पारण होगा। आइए जानते हैं कि इस वर्ष नवरात्रि के लिए घट स्थापना या कलश स्थापना किस दिन होगा और किस दिन किस देवी की पूजा की जाएगी।

25 मार्च : दिन बुधवार

इस दिन नवरात्रि का पहला दिन होगा। इस दिन व्रत रखने वाले लोग शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करेंगे और मां शैलपुत्री देवी की पूजा विधि विधान से करेंगे।

 

26 मार्च : दिन गुरुवार

नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी।

27 मार्च : दिन शुक्रवार

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाएगी।

28 मार्च : दिन शनिवार

नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा होगी।

29 मार्च : दिन रविवार

नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा विधि विधान से की जाएगी।

30 मार्च : दिन सोमवार

इस दिन नवरात्रि का छठा दिन होगा। इस दिन कात्यायनी माता की पूजा अर्चना की जाएगी।

31 मार्च : दिन मंगलवार

नवरात्रि के सातवें दिन को महा सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन माता कालरात्रि का पूजा की जाएगी।

01 अप्रैल : दिन बुधवार

इस दिन दुर्गा अष्टमी होगी। आज के दिन महागौरी की विधि विधान से पूजा की जाएगी।

02 अप्रैल: दिन गुरुवार

नवरात्रि के नौवें दिन को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। चैत्र शुक्ल नवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को राम नवमी के रूप में भी मनाया जाता है।

03 अप्रैल: दिन शुक्रवार

नवरात्रि के 10वें दिन हवन आदि करने के बाद पारण करने का समय आता है। ब्राह्मण को दान करने के बाद व्रत करने वाले व्यक्ति को भोजन ग्रहण कर व्रत को पूर्ण करना चाहिए।

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