बाढ़ से घिरे गांव मायूस दिखी जिंदगियां,नहीं किया नाव का कोई प्रबंध

उत्तर प्रदेश

फखरपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत सिपहिया हुलास इस समय भिसड बाढ़ की चपेट में है।चारो तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है स्कूल से लेकर घरों तक घर से लेकर सड़कों तक सभी जगह जलमग्न हो चुके है तस्वीरों के साफ देखा जा सकता है।हर गांव की ऐसी ही भयावह तस्वीरें नजर आ रही है सरकारी दावों की पड़ताल के लिए हमारे संवाद दाता ने सिपहिया हुलास गांव का रुख किया जहां पर रमेश कुमार के घर में पानी ही पानी दिखाई दिया वह परिवार समेत दूसरे के घर में जिंदगी कि जद्दो जहाद करते दिखे लेकिन प्रशासन की तरफ से तिरपाल का वितरण नहीं किया गया ठीक ऐसे ही सिपहिया निवासी रामनरेश यादव, इशहाक अहमद, मुबारक अहमद, जलील, इसरायल, जाकिर,भगोले,अब्दुल अजीज,योगेन्द्र यादव, के घरों में पूर्णतया जल भराव रहा और जिंदगी की बचाने के लिए अपने ही घरों में तख्त के ऊपर घर की छाव में ही रहने पर विवश दिखे उन्होंने बताया ग्राम प्रधान व लेखपाल के किसी भी अधिकारी ने हमारी सुध नहीं ली यही हाल सिपहिया हुलास के समस्त मजरो का भी दिखा जिसमे चारीगाह,अवस्थी पुरवा,चौहान पुरवा,शिवलोचन पुरवा,और राम सब्बद पुरवा,में बाढ़ ने भिसड तबाही मचाई हालाकि रात्रि के बाद जलस्तर घटने से राहत की सांस ली वहीं सिपहिया निवासी गोमती उर्फ बबलू की बाढ़ के दौरान हुई बारिश से ईंट का मकान जिस पर छप्पर रखकर गुजर बसर कर रहे थे वह ढह गया जिसकी सूचना देने के लिए लेखपाल चंद्रकेश मौर्या के नम्बर पर कई बार फोन करने के दौरान फोन नहीं उठाने पर दूसरे के घर रहने को मजबूर हुए।।
कहते है व्यक्ति को इतिहास से सीख लेनी चाहिए जिससे भविष्य में घटनाओं व आने वाली आपदाओं को कम किया जा सके लेकिन महसी प्रशासन इन बातो पर गौर नहीं करता जो होगा वह बाद में देखा जाएगा ऐसा हम इसलिए कह रहे है सिपहिया हुलास, सांगवा, के व्यक्तियों को बाजार जाने के लिए मार्ग बांध से होकर जाता है 2014 की आयि बाढ़ के दौरान सांगवा बांध पर तेज बहाव होने के कारण एक व्यक्ति की डूब कर मौत हो गई थी।
इसके बावजूद सिपहिया हुलास व सांगवा को जोड़ने वाले बांध के पास काफी तेज जलभराव होता है जिससे दुर्घटना का ज्यादा खतरा होता है, इसके बावजूद प्रशासन ने सिख ना लेते हुए गांवों से बाजार आने जाने वालों के लिए कोई नाव का प्रबंध नहीं किया है जिससे बड़ी दुर्घटना हो सकती है। हेमना पुर मरवट गांव में बाढ़ चौकी का निर्माण तो हुआ लेकिन इसका फायदा बाढ़ प्रभावित गांवों को नहीं मिला बल्कि बांध के उस पार रहने वाले व्यक्ति ही लंच पैकेट व अनेक लाभ ले रहे है।

रिपोर्ट बीपी पांण्डेय

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