पावर कार्पोरेशन ने गुपचुप ढंग से सभी श्रेणी की उपभोक्ताओं की दरों में चार पैसे लेकर 66 पैसे प्रति यूनिट तक की वृद्धि कर दी। यह वृद्धि इन्क्रीमेंटल कॉस्ट के नाम पर की गई। यही नहीं नए साल में जमा होने वाले बिलों में भी इस वृद्धि को जोड़ लिया गया जबकि पावर कार्पोरेशन की ओर से जारी आदेश में जनवरी 2020 के बिलों में इन्क्रीमेंटल कास्ट जोड़ने की बात कही गई है।
इसकी भनक लगते ही राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बृहस्पतिवार को नियामक आयोग में जनहित प्रत्यावेदन दाखिल कर दिया। नियामक आयोग ने प्रत्यावेदन पर तत्काल सुनवाई करते हुए पावर कार्पोरेशन की ओर से बिजली दरों में की गई वृद्धि पर रोक लगा दी। इन्क्रीमेंटल कास्ट अब नियामक आयोग खुद तय करेगा।
कोयले व तेल की कीमतों में वृद्धि या अन्य वजहों से बिजली खरीद लागत में होने वाली वृद्धि की भरपाई के लिए टैरिफ आर्डर में समय-समय पर इन्क्रीमेंटल कास्ट लगाने का प्रावधान है। लेकिन इसके लिए नियामक आयोग की मंजूरी जरूरी है। पावर कार्पोरेशन ने उपभोक्ताओं पर इन्क्रीमेंटल कास्ट का प्रस्ताव पिछले महीने आयोग के पास मंजूरी के लिए भेजा था।
आयोग ने इस पर आपत्ति लगाते हुए कार्पोरेशन से कुछ और जानकारियां मांगी थीं। मामला अभी आयोग के विचाराधीन है। इस बीच पावर कार्पोरेशन ने जनवरी 2020 से बिलों में इन्क्रीमेंटल कास्ट जोड़ने का आदेश जारी कर दिया। पावर कार्पोरेशन के अधिकारियों ने जनवरी के बजाय दिसंबर के बिलों में ही इसे जोड़ना शुरू कर दिया।