प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलित सम्मान का मुद्दा उठाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत को नई धार देने की कोशिश की है। शुक्रवार को सहारनपुर और अमरोहा की रैलियों में मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे।
विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने सहारनपुर सीट पर अच्छा वोट हासिल किया था। वहां मुस्लिम-दलित समीकरण मजबूत माना जाता है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र के सियासी समीकरणों को सहेजने के लिए दलित सम्मान एवं पलायन का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। हाल ही में मेरठ में भीम आर्मी के बीमार नेता चंद्रशेखर को देखने प्रियंका गांधी पहुंचीं तो इसके जरिये उन्होंने संकेत दिए थे कि दलितों को कांग्रेस के पाले में लाने के लिए कसर नहीं छोड़ेंगी।
अब वोट के लिए कांग्रेस आंबेडकर का चित्र अपने मंचों पर लगा रही है। यह वही कांग्रेस है जिसके परिवार की पीढिय़ों ने दशकों तक संसद भवन में आंबेडकर का चित्र नहीं लगने दिया। मोदी ने राष्ट्रवाद का मुद्दा भी जोर शोर से जनता के सामने रखा। प्रकारांतर से मुस्लिम तुष्टिकरण एवं पलायन का मुद्दा उठाकर हिंदुओं के जातीय विभाजन की कोशिशों पर प्रहार किया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह वह क्षेत्र है जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक माने जाते हैं। इस बेल्ट में दलितों की संख्या भी अधिक है। अमरोहा में बसपा-सपा गठबंधन एवं सहारनपुर के कांग्रेस इसी समीकरण को साधने में पूरी ताकत लगा रहे हैं।
मोदी ने भीड़ को यह अहसास भी कराया कि उनकी सरकार के दमदार फैसलों के कारण पूरी दुनिया में भारत का डंका बजा है। खुद को मिले यूएई के सर्वोच्च नागरिक सम्मान को जनता को समर्पित करते हुए स्पष्ट किया कि दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ा है। मुजफ्फरनगर के दंगों में कैराना के पलायन की याद दिलाकर भी उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि भाजपा ने इस क्षेत्र के सामाजिक सुरक्षा के लिए कितना अहम योगदान दिया है।