सड़कें सुधरीं फिर भी झटकों में सफर, पढ़े पूरी खबर

कानपुर

लंबे समय से शासन-प्रशासन के गड्ढा मुक्त के दावे सुन रहे शहरवासियों ने बीते साल सड़को का सुधार शुरू होने पर राहत की सांस ली थी। गड्ढामुक्त के अंतर्गत कई सड़कें बनाई भी गई, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से शहरवासियों का सफर सुहाना नहीं हो पाया। सुधारी गई सड़को के बीच मैनहोल के गड्ढे परेशानी का सबक बन रहे हैं।

सुधारी गई सड़क पर निश्चिंतता से वाहन दौड़ाने वाले शहरवासियों की राह में आ रहे मैनहोल के गड्ढे झटका दे देते हैं। इस परेशानी पर अब तक किसी भी विभाग के अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया है। निर्माण की पारंपरिक शैली में पुरानी और खस्ताहाल सड़क की परत को खुरचकर साफ करने के बाद ही उस पर डामर-मिट्टी की नई परत बिछाई जाती थी।

अब विभाग पुरानी परत के ऊपर ही डामर-मिट्टी की परत बिछाकर सड़क बना देते हैं। इससे सड़के जल्दी तो बन जाती है, लेकिन कई समस्याएं सामने आती है। सबसे बड़ी समस्या मैनहोल हैं। सड़क को पहली परत के बराबर ऊंचाई पर मैनहोल के ढक्कन लगाए गए हैं। हर 2 से 3 साल में सड़क पर नई परत चढ़ने के कारण इसकी ऊंचाई तो बढ़ जाती है, मैनहोल पुरानी जगह पर ही रह जाते हैं। 1-2 बार सड़क बनने के बाद मैनहोल गड्ढे का रूप ले लेते हैं।

यदि सड़क पर नई परत बिछाई जाए, तो उसके बराबर मैनहोल की भी ऊंचाई बढ़ाई जानी चाहिए। आनन-फानन में काम पूरा कराने के चक्कर में सड़क बनाने वाले विभाग इस पर ध्यान नहीं देते। मैनहोल की जिम्मेदारी रखने वाले Nagar Nigam के अधिकारियों को इससे कोई मतलब नहीं रहता। यदि दोनों विभाग समन्वय कर लें, तो शायद शहरवासियों को झटके न खाने पड़ें।

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