दुनियाभर के कई देश इस समय कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं। इन सबके बीच सभी की निगाहें कई देशों में चल रहे कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर हैं। दुनियाभर के वैज्ञानिक हर संभव कोशिश कर कोरोना की वैक्सीन खोजने में जुटे हुए हैं। दुनिया के कई देशों के सैकड़ों वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना की वैक्सीन विकसित करने पर लगातार काम किया जा रहा है। भारत समेत दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिक अलग-अलग जगहों पर वैक्सीन को विकसित करने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
वर्तमान समय में दुनिया में कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर 120 से ज्यादा प्रतिभागी काम कर रहे हैं। इनमें से 13 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के फेज में पहुंच चुकी हैं। इनमें से चीन की सबसे ज्यादा वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल चरण में है। बता दें चीन में 5, ब्रिटेन में 2, अमेरिका में 3, रूस ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी में 1-1 कोरोना वैक्सीन ट्रायल फेज में हैं। अगर वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन को विकसित करने में सफल हो जाते हैं तो इस महामारी संकट से ना सिर्फ लोगों को आजादी मिलेगी बल्कि इससे लाखों लोगों की जान भी बचाई जा सकेगी। आइए जानते हैं भारत समेत दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल की प्रक्रिया कहां तक पहुंची है।
भारत की बात करें यहां फिलहाल दो कोरोना वैक्सीन- कोवाक्सिन(Covaxin)और जायकोव-डी(Zycov-D) का मानव ट्रायल(Human Trial) चल रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में आज से देश की पहली स्वदेश कोरोना वैक्सीन Covaxin का मानव ट्रायल शुरू हो रहा है। कोवाक्सिन(Covaxin) का ट्रायल एम्स में पहले फेज में 100 लोगों पर किया जाएगा। एथिक्स कमेटी ने इसके लिए अनुमति दे दी है। बता दें कि पटना एम्स और रोहतक के पीजीआई में वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल पहले ही शुरू हो चुका है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद(आइसीएमआर) और भारत बायोटेक ने मिलकर देश की पहली स्वदेशी कोरोनाॉ वैक्सीन कोवाक्सिन(Covaxin) तैयार किया है। इसके 15 अगस्त को लॉन्च होने की भी ख़बरें हैं।