भारतीय स्टार्टअप के बनाए उत्पादों की मांग दुनियाभर में बढ़ रही है। इसका कारण घरेलू स्टार्टअप पश्चिमी देशों में विकसित तकनीक का इस्तेमाल कर उनकी मांग के अनुसार उत्पाद बनाना है। इनके उत्पाद पसंद किए जा रहे है। और ये वहां से पैसे भी कमा रहे हैं। भारत केंद्रित अमेरिकी परामर्श समूह ने यह बात कही है।
यूएस–इंडिया स्ट्रेटजिक एंड पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा, मुझे लगता है कि भारतीय स्टार्टअप तीसरे चरण में पहुंच रहे है। कोडिंग और एम्युलेटिंग जैसे कॉन्सेप्ट भले ही पश्चिमी देशों में विकसित हुए है। लेकिन भारतीय स्टार्टअप भी अब इनमें पारंगत हो गए हैं। भारतीय आईटी उद्दोग में वर्ष 2000 के बाद तेजी आई। इस दौर में कोडिंग को महत्व दिया गया। पहले यहां के स्टार्टअप ने विदेशी तकनीक का इस्तेमाल कर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए उत्पाद बनाए, लेकिन अब उनका जार दुनियाभर के ग्राहकों को साधने पर है।
अघी ने कहा कि भारतीय कंपनियों ने दूसरे चरण में अमेरिका में विकसित कॉन्सेप्ट को अपनाया। जैसे उबर की तर्ज पर ओला और अमेजन के नक्शेकदम पर फ्लिपकार्ट स्टार्टअप सामने आए। अब भारतीय स्टार्टअप तीसरे चरण में प्रवेश कर रहे हैं। यानी, वे पश्चिमी देशों में विकसित तकनीकीं का इस्तेमाल कर ऐसे उत्पाद बना रहे है, जिनकी आपूर्ती भी इन्हीं देशों में सबसे ज्यादा की जा सकें।