शहरवासियों को यातायात नियमों का पालन करवाने के लिए लागू हुई ऑनलाइन चालान की व्यवस्था पर प्रशासनिक सिस्टम की लापरवाही भारी पड़ रही है। शहर के करीब 40 फीसदी से अधिक वाहनों की नंबर प्लेट अस्पष्ट हैं। यानी इन पर लिखे नंबर या तो मिट गए हैं, या फिर इतने स्टाइलिश हैं कि सहजता से उन्हें नहीं पढ़ा जा सकता। इस समस्या से शहर के विजय नगर और बड़ा चौराहा पर लगा इंटलीजेंट ट्रैफिक, मैनेजमेंट सिस्टम भी जूझ रहा है। इन दोनों चौराहों पर ऑनलाइन चालान के लिए लगाए गए रेड लाइट वायलेशन डिटेक्शन के कैमरे नंबर प्लेट की तस्वीर खींचने के बावजूद मालिक का पता नहीं लगा पाते। करोड़ों रुपये के सिस्टम को प्रभावी बनाने के लिए कभी कोई अभियान नहीं चलाती।
आरएलवीडी कैमरे तभी ऑनलाइन चालान काट पाते हैं, जब वाहनों की नंबर प्लेट पर लिखी संख्या स्पष्ट हो शहर में दौड़ी रही गाड़ियों की नबर प्लेट अलग-अलग डिजाइन की हैं। इन पर लिखे नंबरों की शैली भी एक जैसी नहीं है। आरेलवीडी कैमरे एक जैसी नंबर प्लेटों और नंबरों की शैली को सहजता से समझ सकते हैं। कई गाड़ियों में एक भी नंबर मिटने, या छिपने से ही इसके मालिक की पहचान नहीं हो पाती और चालान जेनरेट नहीं हो सकता।
40 फीसद की गाड़ियों की प्लेट गड़बड़ आईटीएमएस के सीनियर इंजीनियर आशीष शुक्ला ने बताया कि विजय नगर और बड़ा चौराहा से गुजरने वाले 10 में से 4 वाहनों के ऑनलाइन चालान नंबर प्लेट खराब होने के कारण नहीं हो पाते। बड़े वाहनों की नंबर प्लेट इतनी छोटी और ऐसी जगह पर लगी होती हैं कि इनकी फोटो खींचना मुश्किल साबित होता। ऑटो की नंबर प्लेट के आगे एक जाली सी लगी होती है। इसके कारण भी चालान नहीं हो पाते। बड़ा चौराहा और विजय नगर में रोजाना 700 से 800 लोग यातायात नियमों को तोड़ते हैं।