27 March, 2019 को जब भारत ने मिशन शक्ति के तहत एक स्वदेशी एंटीसैटेलाइट मिसाइल से 300 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष की निचली कक्षा में तैनात अपना एक जिंदा उपग्रह Microsat-R को मार गिराया और इस तरह भारत दुनिया का चौथा देश बन गया, जिनके पास Space war का मुकाबला करने की क्षमता है। किसी ने सोचा नहीं था कि हमारा देश इतनी जल्दी Space war को लेकर तैयारियों में तेजी दिखाएगा, लेकिन 11 June, 2019 को जब Modi सरकार ने अंतरिक्ष में जंग की स्थिति में सुरक्षा बलों की ताकत बढ़ाने के लिए एक नई एजेंसी-डिफेंस Space रिसर्च एजेंसी बनाने की मंजूरी दी तो देश के ये इरादे साफ हो गए कि आने वाले वक्त में भारत Space से आने वाले खतरों से निपटने के लिए तैयार और मुस्तैद रहेगा।
America पहले ही रूस और चीन से स्पेस में जंग की आशंका के मद्देनजर 2020 तक Space Force बनाने की दिशा में आगे बढ़ चुका है, अब उस दिशा में भारत ने भी पहलकदमी की है। अभी सवाल ये हैं कि क्या भारत को Space की तरफ से कोई खतरा है? क्या वास्तव में Space में जंग छिड़ने की कोई नौबत आ सकती है? और यदि अंतरिक्ष युद्ध की स्थितियां पैदा हुईं तो क्या हमारा देश इस मामले में चीन आदि पड़ोसियों का मुकाबला करने की स्थिति में होगा?
सुरक्षा पर Cabinet Comedy ने जिस नई एजेंसी DSRO को गठित करने को मंजूरी दी है, उस पर अंतरिक्ष में मुकाबले के लिए हथियार और तकनीकी तैयार करने का जिम्मा होगा। यह एजेंसी रक्षा अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी को शोध और अनुसंधान में सहयोग करेगी। यह भी ध्यान रहे कि जिस DSA में तीनों सेनाओं के सदस्य शामिल हैं, उसे मुख्यत: अंतरिक्ष में जंग लड़ने में सहयोग करने के लिए भी बनाया गया है।
इन खूबियों और तैयारियों का कोई उद्देश्य तभी समझ में आता है जब यह साबित हो कि अंतरिक्ष से कोई खतरा वास्तव में पैदा हो सकता है। ऊपरी तौर पर लगता है कि तनातनी की किसी स्थिति में 2 देशों में जंग छिड़ने या विश्वयुद्ध जैसी स्थितियों के बीच पारंपरिक तौर-तरीकों वाले ही युद्ध हो सकते हैं। इनमें से ज्यादा खतरा एटमी हथियारों का दिखाया जाता है, पर इधर कुछ अरसे से जिस तरह से कुछ देश भविष्य के युद्धों का खाका खींच रहे हैं, उसे देखते हुए यह आशंका जल्दी ही सच साबित होती लग रही है कि आने वाले दिनों में कोई जंग धरती पर नहीं, बल्कि space में लड़ी जाएगी।