Shark Fishe पर पड़ रहा असर अध्ययन में हुए चौंकाने वाले खुलासे

India दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा Shark Fishe पालने वाला देश माना जाता है। लेकिन मछुआरे और मछली व्यापारी शार्क संरक्षण के नियमों से अनजान हैं। इसके कारण पिछले कई वर्षो से यहां Shark Fishes की संख्या लगातार कम हो रही है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचे जाते हैं मांस और पंख

लेकिन वे Shark Fishe की अन्य प्रजातियों जैसे- टाइगर, हेमरहेड, बुकशार्क, पिगी शार्क आदि के लिए निर्धारित राष्ट्रीय शार्क संरक्षण मानकों से अनजान हैं। शार्क मछलियों को उनके मांस और पंखों के लिए पकड़ा जाता है। इनके पंखों के अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति काफी हद तक अनियमित है।

India में शार्क के मांस के लिए एक बड़ा घरेलू बाजार है। जबकि निर्यात बाजार छोटा है। यहां छोटे आकार और किशोर Shark Fishe के मांस की मांग सबसे ज्यादा है।आमतौर पर एक मीटर से छोटी शार्क मछलियां ही पकड़ी जाती हैं और छोटी शार्क स्थानीय बाजारों में महंगी बिकती हैं।

Shark संरक्षण को लेकर किए गए एक अध्ययन में ये बातें सामने आई हैं। अशोका यूनिवर्सिटी, हरियाणा, जेम्स कुक यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया और एलेस्मो प्रोजेक्ट, संयुक्त अरब अमीरात के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में शार्क व्यापार के दो प्रमुख केंद्रों गुजरात के पोरबंदर और महाराष्ट्र के मालवन में सर्वेक्षण किया गया है।

Shark के बाजार में गिरावट 

शोधकर्ताओं के अनुसार, पिछले दस सालों में शार्क पंखों की अंतरराष्ट्रीय बिक्री में 95 प्रतिशत तक गिरावट हुई है। उत्तर-पश्चिमी भारत में शार्क मछलियों की संख्या और आकार में लगातार गिरावट का आर्थिक असर मछुआरों और व्यापारियों पर पड़ रहा है। अध्ययन के आंकड़े स्थानीय मछुआरों, नौका मालिकों, खुदरा विक्रेताओं और मछली व्यापारियों से साक्षात्कार के आधार पर एकत्रित किए गए।

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