महाकवि सुमित्रानंदन पंत ने मुझसे एक बार पूछा कि भारत के वे कौन बारह लोग हैं जो मेरी दृष्टि में सबसे चमकते हुए सितारे हैं। मैंने उन्हें कृष्ण, पंतजलि, बुद्ध, महावीर, नागार्जुन,शंकर, गोरख, कबीर, नानक, मीरा, रामकृष्ण कृष्णमूर्ति की सूची दी। सुमित्रानंदन पंत ने आंखें बंदकर लीं और सोच में पड़ गए। उन्होंने आंखें खोली और कहा राम का नाम छोड़ दिया है आपसे मैंने कहा कि 12 की ही सुविधा थी चुनने की तो बहुत नाम छोड़ने पड़े।
राम की कोई मौलिक देन नहीं है, कृष्ण की मौलिक देन है। इसलिए राम को पूणार्वतार नहीं कहा। उन्होंने फिर से पूछा कि अगर पांच की सूची बनानी पड़े। तो मैंने कहा काम कठिन होता जायेगा। लेकिन फिर भी उन्हें कृष्ण, पंतजलि, बुध्द, महावीर, गोरख सूची दी, क्योंकि कबीर को गोरख में लीन किया जा सकता है। गोरख मूल हैं।
और शंकर तो कृष्ण में लय हो जाते हैं। कृष्ण के ही एक अंग की व्याख्या है। तब वे बोले कि अगर चार ही रखने हों तो मैंने उन्हें कृष्ण पंतजलि , बुध्द गोरख सूची दी,क्योंकि महावीर की महिमा लीन हो सकती है। इनमें से किसी को नहीं छोड़ सकते। जैसे चार दिशाएं हैं ऎसे ये चार व्यक्तित्व हैं। जैसे काल और क्षेत्र के चार आयाम हैं। जैसे परमात्मा की हमने चार भुजाएं हैं। अब इनमें से कुछ छोड़ना तो हाथ काटने जैसा होगा।