विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार ने शुक्रवार को तीन तलाक बिल लोकसभा में के पटल पर रखा गया। इस पर विपक्षी सांसदों ने दावा किया कि ऐसा किया जाना संविधान का उल्लंघन है। इसके बाद कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष ने इसके लाए जाने के तरीके पर सवाल उठाते हुए इसका विरोध किया। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने वोटिंग कराई जिसके बाद यह बिल 74 के मुकाबले 186 मतों के समर्थन से पेश हुआ।
दूसरी बार चुनाव जीत कर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार का 17वीं लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला बिल 2019’ पहला विधेयक है। शुरुआत में इस विधेयक के पक्ष में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि लैगिक समानता और न्याय के लिए इस कानून का लाया जाना बेहद जरूरी है। पिछले साल दिसंबर में लोकसभा से यह बिल पारित हुआ था लेकिन राज्यसभा में पेंडिंग था। चूंकि राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया तो नई लोकसभा में संविधान की प्रक्रिया के तहत नए सिरे से नया बिल को लाया गया है।
इस विधेयक की जरूरत बताते हुए कानून मंत्री ने देश में दर्ज किए गए तीन तलाक के 543 मामलों का हवाला दिया। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक पर रोक लगाए जाने के बावजूद देश में इस तरह के 200 मामले दर्ज किए गए हैं। बिल को पेश किए जाने के दौरान विपक्षी सांसदों ने तीखा विरोध दर्ज कराया। एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक पर लाया गया यह बिल मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है।