लखनऊ: अंतराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में गीता परिवार उ.प्र. ने योगसत्र का आयोजन कल्याणकारी आश्रम श्रीदुर्गा मंदिर शास्त्रीनगर लखनऊ में किया गया। सभी ने गीता परिवार की मुद्रित टीशर्ट और काला लोवर पहनकर आये थे। योग प्रोटोकॉल 2019 का प्रसारण प्रोजेक्टर पर किया गया जिसको देखकर सभी ने एक साथ योगाभ्यास किया। शुक्रवार को सभी अर्जुन भव संस्कार पथ शिविरों में विशेष रूप से योग प्रशिक्षक ने बताया कि योगः कर्मसु कौशलम् अर्थात् अपने कार्यों में कुशलता ही योग है।

योग करने का सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल ही है। हम सभी को योग अवश्य करना चाहिए जिससे उनमें एकग्रता शक्ति में वृद्धि हो सके। योग करने से शारीरिक, मानसिक विकास होता है रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। हमारा शरीर चुस्त-दुरूस्त रहता है शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। सभी करेंगे योग रहेंगे निरोग।

योग प्रशिक्षक के निर्देशन में योग सोपान भाग-1 में खड़ी स्थिति के आसनों में अर्द्ध कटिचक्रासन, वृक्षासन, उत्थि त्रिकोणासन, पादहस्तासन, बैठक स्थिति के आसनों में वज्रासन, शशांकासन, पद्मासन, मार्जरासन, पीठ के बल लेटी स्थिति में आसनों में सुप्त कपोतासन, उत्तान पादासन, विपरीतकरणी मुद्रा, सुप्त पवन मुक्तासन, पेट के बल लेटी स्थिति के आसनों में मकरासन, भुजंगासन, एकपाद शलभासन, विपरीत मेरुदंडासन।

 

योग सोपान भाग-2 में खड़ी स्थिति के आसनों में नटराजासन, वीरभद्रासन, परिवृत्त त्रिकोणासन, पार्श्व कोणासन, बैठक स्थिति के आसनों में वक्रासन, सिंहासन, गोमुखासन, बद्ध पद्मासन, पीठ के बल लेटी स्थिति के आसनों में अर्द्ध हलासन, नौकासन, मत्स्यासन, सर्वांगासन, पेट के बल लेटी स्थिति के आसनों में तिर्यक भुजंगासन, अर्द्ध धनुरासन, शलभासन, चतुरंग दंडासन के आसनों का बच्चों को प्रशिक्षण दिया गया।

गीता परिवार के तत्वावधान में चल रहे तीन दिवसीय अर्जुन भव संस्कार पथ शिविरों का शुक्रवार को समापन किया गया जिनमें गायत्री मंदिर पारा रोड में आदर्श शिविरार्थी में श्रेया शुक्ला, रोहित साहू, भगवद्गीता श्लोक स्पर्धा में खुशी सैनी ने बाजी मारी। इस अवसर पर मुख्य अतिथियों में राजेन्द्र कुमार द्विवेदी गायत्री शक्तिपीठ के मुख्य ट्रस्टी मौजूद थे।

 

 

मुख्य अतिथियों ने प्रतियोगिता के विजयी बच्चों को पुरस्कृत किया। इस मौके पर शिविर में सिखायी बातों को बच्चों ने शिविर वृतांत की मनमोहक छठा मुख्य अतिथियों के समक्ष बिखेरी। शिविर का निर्देशन अंजलि द्विवेदी ने किया।

राजेन्द्रनगर के महाकाल मंदिर में डा. आशु गोयल ने बताया श्रीमद्भगवदगीता में वर्णित 26 दैवीय गुणों के बारे में बच्चों को विस्तारपूर्ण बताया और उसको अपने जीवन में धारण का करने का संकल्प दिलवाया। अर्जुन भव संस्कार पथ शिविरों में गीत, भगवद्गीता, मधुराष्टक स्त्रोत, नियुद्ध कला, प्रश्नोत्तरी, कहानियां, प्रात्यक्षिक, रचनात्मक कार्य सिखाया जा रहा है। हजारों बच्चों नित प्रतिदिन शिविरों प्रतिभाग कर रहे है।

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