PM Modi ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी और साथ ही पूरे देश की जनता को संबोधित करते हुए यह उम्मीद जताई कि जिस तरह महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीत लिया गया था उसी तरह कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई भी 21 दिन में जीत ली जाएगी। उनका यह वक्तव्य आशंकाओं से घिरे देश को संबल देने वाला है, लेकिन देशवासी एक क्षण के लिए भी इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि यह वह कठिन लड़ाई है जिसमें हर किसी को अपनी-अपनी तरह से योगदान देना है।
PM Modi ने कहा सबसे बड़ा योगदान यही होगा कि लोग सामाजिक रूप से अलग-थलग रहें, सेहत-सफाई को लेकर सजगता बरतें और उन सब निर्देशों को पालन करें जो विभिन्न सरकारी एजेंसियों की ओर से दिए जा रहे हैं। ऐसा करते हुए केवल संयम और अनुशासन का ही परिचय नहीं देना होगा, बल्कि उन सबकी चिंता भी करनी होगी जो निर्धन और असहाय हैं। शासन-प्रशासन के साथ समाज के सक्षम वर्ग को लॉकडाउन के इन कठिन दिनों में सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक अलगाव का सख्ती से पालन करते हुए वह सब कुछ करने के लिए तत्पर रहना चाहिए जिससे निर्धन तबके की मदद हो सके।ऐसा करके ही हम कोरोना वायरस के खिलाफ छेड़ी गई लड़ाई को आसानी से लड़ और जीत सकेंगे।
संकट के समय हम सब कुछ शासन-प्रशासन पर नहीं छोड़ सकते। आखिर दिन-रात एक किए हुए शासन-प्रशासन के लोग भी हम जैसे ही हैं। उन्हें जन-जन के सहयोग की जरूरत तो है, लेकिन उसी रूप में जैसा वांछित है। चूंकि लॉकडाउन का मतलब कफ्र्यू जैसे हालात का सामना करना है इसलिए यह चुनौती बढ़ गई है कि शहरों से लेकर गांवों तक आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कैसे की जाए?
इसकी जो भी रूपरेखा बनी है उस पर सही से अमल पर तत्परता दिखाई जानी चाहिए। न तो जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति थमे और न ही उनके दाम बेलगाम होने पाएं। शासन-प्रशासन और साथ ही जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति करने वालों में किसी तरह के भ्रम की गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए। जहां भी कुछ कमजोरी या खामी दिखे उसे तत्काल दूर करने की व्यवस्था भी बननी चाहिए।