पीलीभीत। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसा अपना पीलीभीत जनपद पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित की शानदार पहल के चलते संकट की इस घड़ी में भूखा नहीं है। यहां पर हर जरूरतमंद को समय पर निवाला मिल रहा है और अहम बात यह है कि वेजुवान भी भूखा नहीं है। पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित व उनकी खाकी का कुटुंब इस समय संकट की घड़ी में अपने देश की भक्ति और शक्ति में लवलीन है। न कोई अपना न कोई पराया बस अगर कुछ है, तो सिर्फ और सिर्फ इंसान और इंसानियत का रिश्ता। यहां की पुलिस और उनके जिले के मुखिया इस वक्त हर जरूरतमंद इंसान और पशु पंछियों के निवाले और उनको सुरक्षित ठिकाना दिलाने के लिए सहारा बने हुए हैं। पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित तब मिसाल बन गये जब उन्होंने जिले में जरूरत मंद इंसानो को छोड़िए वल्कि वेजुवान पंछियों और जानवरों को भी भूखा प्यासा नहीं रखा। ऐसे पुलिस अधीक्षक पर यह दो लाइनें बिल्कुल सटीक बैठती है।
हौंसलें की उड़ान जो रखते हैं,वे इंसानों से क्या वेजुवान परिंदों से भी प्रेम रखते हैं।
जी हां कोरोनावायरस को लेकर लाकडाउन के चलते देशभर में संकट का माहौल है और बहुत सारे प्रवासी मज़दूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड से हज़ारों मज़दूर विभिन्न रास्तों से पीलीभीत पहुँचे। चूंकि यह जिला उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर है,ऐसे में यहां के प्रवासियों का भी काफी संख्या में आना जाना हो रहा है। पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित सुबह से ही व्यवस्था की मानीटरिग में लगे रहे और जो पिथौरागढ़, चंपावत, खटीमा, हल्द्वानी से बड़ी संख्या में लोग पैदल पीलीभीत पहुँचे।
पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित ने थाना प्रभारियों के साथ पैदल लौट रहे राहगीरों को भोजन कराया। जिनके पास राशन नहीं था, उनको राशन दिलवाया। इन सभी राहगीरों की लिस्टिंग और स्क्रीनिंग करके इनको गंतव्य पर भेजने के लिए उचित व्यवस्था करी गयी। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक द्वारा “कोई भूखा ना रह जाए “ की मुहीम भी सभी थाना स्तर पर चलावायी जा रही है। वाकौल पुलिस अधीक्षक ने -सभी पुलिस थानों को यह निर्देशित किया गया है, कि अपने-अपने थाना क्षेत्र में यह आँकलन कर ले, कि हर दिन कितने लोगों का खाना अलग से बन सकता है क्योंकि ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके खाने का कोई ठिकाना नहीं है, जो रोज़ मज़दूरी करके खाते थे, जो किसी और पर आश्रित थे। ऐसी व्यवस्था बनायी जाए जिससे सबका पेट भरा जा सके और कोई भूखा न रहे।यहाँ तक कि जो पशु भी खाने के लिए भटक रहे हैं, उनकी भी व्यवस्था बनायी जाए। पुलिस अधीक्षक का मकसद और फरमान और उद्देश्य यही है कि-“ कोई भूखा ना रह जाए”।
इसके अलावा “कोई भूखा ना रह जाए “ की मुहीम सभी थानों के स्तर पर चलायी जा रही है। सभी पुलिस थानो को यह निर्देशित किया गया है कि अपने अपने थाना क्षेत्र मे यह आँकलन कर ले कि हर दिन कितने लोगों का खाना अलग से बन सकता है क्योंकि ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके खाने का कोई ठिकाना नहीं है, जो रोज़ मज़दूरी करके खाते थे, जो किसी और पर आश्रित थे। ऐसी व्यवस्था बनायी जाए जिससे सबका पेट भरा जा सके। यहाँ तक कि जो पशु भी खाने के लिए भटक रहे हैं, उनकी भी व्यवस्था बनायी जाए। उद्देश्य है कि-“ कोई भूखा ना रह जाए”।
लाकडाउन के चलते देशभर मे बहुत सारे प्रवासी मज़दूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड से हज़ारों मज़दूर विभिन्न रास्तों से पीलीभीत पहुँचे। पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित सुबह से ही व्यवस्था की monitoring करते रहे। पिथोरागढ़, चंपावत, खटीमा, हल्द्वानी से बड़ी संख्या में लोग पैदल पीलीभीत पहुँचे। पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित ने थाना प्रभारियों के साथ पैदल लौटे राहगीरों को भोजन कराया। जिनके पास राशन नहीं था, उनको राशन दिलवाया। इन सभी राहगीरों की लिस्टिंग और स्क्रीनिंग करके इनको गंतव्य पर भेजने के लिए उचित व्यवस्था करी गयी।
रिपोर्ट यूपी सिंह, मुकेश सक्सेना