बगैर रिश्वत लर्निंग लाइसेंस तक नहीं दिया जाता परिवहन विभाग लोक सेवा गारंटी बना मजाक परिवहन विभाग के बाबू अधिकारी दलालों द्वारा करवा रहे सभी शासकीय कार्य दलालों को दी जाती है तनख्वाह के रूप में मोटी रकम मोटी रकम वैसे तो देखा जाए परिवहन विभाग हमेशा ही भ्रष्टाचार का गढ़ रहा है आज तक परिवहन कार्यालय में होने वाले कार्यों को आवेदक खुद अपने दम पर कार्य नहीं करा पाया कारण यही रहा कि बरसों से 500 दलालों का कार्यालय में कबजा रहा है लेकिन उसका कोई भी विरोध नहीं करता क्योंकि दलालों द्वारा अधिकारी बाबू को मोटी रकम आवेदकों द्वारा लूट कर दी जाती है अक्सर यह देखा जाता है।
इस विभाग में driving license के लिए शासन प्रशासन Online सुविधा साथ ही लोगों को सुविधाएं मिले इसलिए जगह-जगह कैंप लगाकर लर्निंग लाइसेंस प्राप्त कराने के नियम है लेकिन इस विभाग में कार्यरत बाबू अधिकारियों द्वारा लर्निंग लाइसेंस तक के लिए एक 1000 घूस ली जाती है यही नहीं हैवी लाइसेंस तो मानो पंजीरी की तरह बांटे जाते हैं ना कोई चरित्र सत्यापन ना ही कोई मेडिकल सर्टिफिकेट और अगर यदि इन रिकार्डो में लगवाया भी जाता है तो बाबुओं के द्वारा बैठाए गए दलालों के द्वारा बनाए गए Police रिपोर्ट एवं Medical certificate लगाकर बड़े ही आसानी तरह से आवेदकों को लूट कर चार गुना घूस का रकम लेकर हैवी लाइसेंस प्राप्त करा दिया जाता है।
जो कि हैवी लाइसेंस RTO द्वारा पहले पूरी जांच परख करके एवं उस व्यक्ति के चरित्र का एसपी ऑफिस से या संबंधित थानों से चरित्र सत्यापन कराया जाना चाहिए साथ ही सीएमओ ऑफिस द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेट जारी होने चाहिए लेकिन आज तक इन हेवी लाइसेंस में लगने वाले सारे रिकॉर्ड पुलिस रिपोर्ट मेडिकल सर्टिफिकेट फर्जी होते हैं जिसकी जांच कराया जाना बहुत ही अनिवार्य है आए दिन एक्सीडेंट होना एवं लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करना आम बात बन गई कारण यही है कि भ्रष्टाचार का गढ़ परिवहन विभाग जब तक घूस लेना एवं कार्यालय में कबजा कर बैठे दलालों को कार्यालय से बाहर नहीं कराता तब तक वाहन स्वामी एवं आए हुए आवेदक हमेशा ही यहां लुटे जाते रहेंगे ।
यहां की सारी व्यवस्थाएं शासन प्रशासन की जानकारी में होती है लेकिन पैसा वाला विभाग होने के कारण इस विभाग में किसी भी तरह की कार्यवाही कभी भी नहीं की जाती परिवहन विभाग का हाल तो यह है कि यहां सरेआम सैकड़ो Online चल रही है पर इन ऑनलाइन को चलाने वाला कौन सा व्यक्ति है कैसा व्यक्ति है उसके पास ऑनलाइन के लिए लाइसेंस है या नहीं बिजली कनेक्शन है या नहीं फिर भी खुलेआम ऑनलाइन का व्यापार चल रहा है पता नहीं कब वाहन स्वामी या आए हुए आवेदक ठगी का शिकार हो जाएं उस पर किसी की भी नजर नहीं जा रही एक का तो बिजली कनेक्शन पर सभी ऑनलाइन को हजार हजार रुपए लेकर अपने मीटर की तरफ से बिजली कनेक्शन दे दिया जाता है पर एमपीवी के कर्मचारी सब कुछ जानते हुए भी अनजान बन जाते हैं ।
क्योंकि महीने भर में उनकी भी माहवारी बनी हुई है हालांकि यहां कई बार समाजसेवियों ने इस विभाग के विरोध में अनशन हड़ताल एवं मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन दे चुके हैं पर सरकार बदलती रहती है लेकिन यहां के व्यवस्थाएं उसी तरह रह जाती हैं परिवहन कार्यालय की पुरानी बिल्डिंग दलालों को किराए से दी गई है जिस पर दलाल अपना अपना नाम लिखा कर कबजा तक दर्शा रहे हैं यही नहीं दलालों द्वारा शासकीय बिल्डिंग में शाम को जाम तक छलकाए जाते हैं इसका भी विरोध कई बार समाजसेवियों ने बाबू अधिकारियों को जानकारी देकर किया है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई सरकार ने परिवहन विभाग में कब्जा कर बैठे दलालों को कई बार बाहर कराने की कोशिश किया है लेकिन दलालों ने अपना संगठन बनाकर परिवहन कार्यालय में कब्जा किए हुए हैं और वाहन स्वामियों एवं आवेदकों को लूट का शिकार बनाता है ।
परिवहन विभाग के हर शाखाओं में बाबुओं द्वारा प्राइवेट दलाल रखकर उनको सरकारी कुर्सियों में बिठाकर सरकारी रिकार्डों को तैयार करवाते हैं एवं माहवारी के हिसाब से उन्हें तनख्वाह के रूप में उन्हें मोटी रकम प्राप्त कराते हैं जैसे लर्निंग लाइसेंस शाखा में देवराज सिंह प्रभारी द्वारा लर्निंग पास करने के लिए प्राइवेट दलाल संतोष सिंह हैवी लाइसेंस शाखा मैं अनिल खरे अन्नू द्वारा प्राइवेट दलाल रामानंद शुक्ला को रखा गया है बस शाखा मैं राम प्रकाश गुप्ता और साथ में शर्मा नामक दलाल कार्य करते हैं जबकि शाखा प्रभारी अनिल खरे अन्नू को कई शाखाएं दी गई है लेकिन उनका कार्यालय में कम ही आना जाना रहता है उनका सारा कार उनके द्वारा बैठाए गए दलाल ही करते हैं।
अन्नू को लाइट लाइसेंस शाखा हैवी लाइसेंस शाखा बस परमिट एवं फिटनेस शाखा जैसे बड़े ही शाखाएं दी गई है लेकिन अन्नू खरे द्वारा कभी भी कार्यालय में रहकर कार्य नहीं किया जाता वैसे तो एक तरह से देखा जाए तो ड्राइविंग लाइसेंस में लर्निंग लाइसेंस बगैर टेस्ट ड्राइव के लोक सेवा गारंटी द्वारा एवं कैंप लगाकर बांटने चाहिए लेकिन फ्री में मिलने वाला लर्निंग लाइसेंस तक आवेदकों को बड़ी ही मशक्कत के साथ दलालों का सहयोग लेकर बाबुओं को एवं दलालों को मोटी रकम हजार 1000 15 15 सो रुपए देकर लर्निंग लाइसेंस प्राप्त कराए जाते हैं कई बार प्रभारी देवराज सिंह से कहा गया फिर भी देवराज द्वारा पैसे लेना बंद नहीं हुआ यदि कार्यालय में पदस्थ आरटीओ द्वारा इन सभी बातों को गंभीरता से ध्यान दिया जाए तो ज्यादा तो नहीं थोड़ा बहुत सुधार आ सकता है।
रिपोर्टर बीपी पाण्डेय