विकास दुबे कल 10 जुलाई को मारा गया। त्वरित न्याय हुआ। “ठोंकतंत्र” में ऐसे ही त्वरित न्याय होता है, होना भी चाहिए क्योंकि भारतीय कोर्ट-कचहरी के चक्कर कौन लगाए….बाप मुकदमा दायर करें और बेटा लड़ता रहे….मार दिया तो मार दिया…कौन जीडी के पन्ने भरे… ठोकतंत्र में अक्सर ही या तो टायर पंचर होता है या गाड़ी पलटती है, अपराधी भागता है और मारा जाता है….
2014 से लेकर अब तक यूपी में 5 हजार “ठोंकतांत्रिक” घटनाएं हुईं इनमें 177 अपराधी ठोंक दिए गए….. इनमें से ज्यादातर अपराधी वो थे जो जरायम की दुनिया में रेंग ही रहे थे और कई तो चोर व गिरहकट भी ठोंक दिए गये….न खाता न बही पुलिस जो करे वही सही…..ठोंकतंत्र में ऐसा ही होता है….. भारतीय राजनीति और सत्ताई तंत्र भी भी गजब का मदारी है….पहले वह विकास जैसे गुंडों को पैदा करता है फिर संरक्षण देता है, लाभ लेता है…. फिर ठोंकतंत्र के हवाले करता है और फिर से उसके स्थान पर एक नया विकास पैदा करता है।
ठोंकतंत्र का अपना एक अलग ही साम्राज्य है और अलग तरह की माफियागिरी है चूंकि वह विधि सम्मत और सत्ता संरक्षित एक इकाई है तो उस पर सवाल उठे भी तो कैसे?…. मुंबई की क्राइमब्रांच में तैनाती पीढ़ियों के आर्थिक दुख-दर्द हर देती है और कमोबेश यही स्थिति पूरे देश में है। तमिलनाडु के तूतीकोरिन में ठोंकतंत्र ने बहुत ही मामूली बात पर बाप-बेटे को उनके गुप्तांगों को कुचलकर मार डाला…
खैर! मूल विषय पर आते हैं मेरी सोच यह कहती है कि विकास दुबे सहित जो पांच अन्य अपराधी मारे गये हैं वह उत्तर प्रदेश की भाजपा की राजनीति में बड़ा बदलाव करेंगे। ब्राह्मण भाजपा का कट्टर समर्थक वोट बैंक है। यह वह सशक्त वोट बैंक है जो अन्य जातियों को भी घुमा-फिरा कर भाजपा के खेमें में लाता रहा है।उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण समाज, विकास दुबे और उसके पांच अन्य अपराधी साथियों का कभी समर्थक नहीं रहा। ब्राह्मण समाज के लोगों में गहरी नाराजगी उसके तथाकथित “ठोंकोलाजी” के तरीके से है।
ब्राह्मण समाज चाहता था कि विकास दुबे के पीछे जो नेता, आईएएस, आईपीएस लाबी थी उसके चेहरे भी बेनकाब हों। विकास पर 20 हत्याओं, अपहरण, वसूली….सहित करीब 60 मुकदमें पंजीकृत थे। इतना सब होने के बाद भी उत्तर प्रदेश की “ठोंकतांत्रिक सरकार” ने उस पर गुंडा एक्ट व रासुका तक का कानून लागू नहीं किया…वह ठोंकतंत्र का दुश्मन तब बना जब इसने इसी तंत्र पर हमला किया।
रिपोर्टर बीपी पाण्डेय