सोमवार को सौरमंडल में होने जा रही खगोलीय घटना का आकलन ज्योतिष शास्त्री भी अपने तरीके से कर रहे हैं। इस दिन बृहस्पति और शनि ग्रह एक-दूसरे के काफी करीब रहेंगे।
इसके कारण राजनीतिक घटनाक्रम में बदलाव होगा, और इसका लाभ सत्ताधीश को मिलेगा। इससे पहले बृहस्पति और शनि ग्रह एक-दूसरे के इतना करीब 1623 में आए थे।
ज्योतिष शास्त्री आचार्य पवन त्रिपाठी कहते हैं कि 21 दिसंबर 2020 को बृहस्पति और शनि मकर राशि में 6 अंश पर साथ-साथ रहेंगे। यह एक दुर्लभ संयोग है, जब दोनों महत्वपूर्ण ग्रह एक राशि में एक अंश पर रहेंगे। शनि को ज्योतिष विज्ञान में पाप ग्रह माना गया है और बृहस्पति को सर्वाधिक शुभ ग्रह।
लेकिन शनि भी अपना गुरु बृहस्पति को ही मानते हैं , इसलिए ज्योतिषिय भाषा में कहें तो शनि बृहस्पति को पीड़ित नहीं करते हैं। जब शनि और बृहस्पति एक राशि और एक अंश में होंगे तो दोनों ग्रह उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में रहेंगे, जिसके स्वामी शनि हैं।
दूसरी ओर यह संयोग मकर राशि में बन रहा है जो शनि की स्व-राशि है तथा बृहस्पति की नीच राशि है। ज्योतिष शास्त्र में इसके प्रभाव का वर्णन किया गया है।
वराह मिहिर लिखते हैं कि जब शनि-बृहस्पति की युति इतने क़रीब से होती है तो देश-समाज के लिए शुभ फ़लदायी होता है, तथा समाज में अप्रत्याशित बदलाव होता है, धन-धान्य की भी वृद्धि होती है।
शनि ग्रह का सीधा संबंध राजनीति से है। इसलिए राजनीतिक घटनाक्रम बदलेंगे एवं सत्ताधीश को लाभ मिलेगा। इसके अलावा शनि तत्काल फल देने वाले ग्रह हैं और शनि-बृहस्पति की युति सर्वाधिक शुभ होती है, इसलिए कोरोना महामारी जैसे वर्तमान संकट से भी देश को राहत मिल सकती है।
ये दोनों ग्रह इससे पहले 17वीं शताब्दी में महान खगोलविद् गैलीलियो के जीवनकाल में जुलाई, 1623 में एक-दूसरे के इतना करीब आए थे। लेकिन सूर्य के नजदीक होने के कारण तब उन्हें देख पाना लगभग असंभव था। लेकिन इस बार यदि मौसम अनुकूल रहे तो सूर्यास्त के बाद यह दृश्य आसानी से देखा जा सकेगा।
पृथ्वी से देखने पर अहसास होगा कि ये दोनों ग्रह एक-दूसरे के ऊपर आ गए हैं। लेकिन वास्तव में दोनों 6 अंश पर होने के बावजूद एक–दूसरे से 73.6 किलोमीटर दूर रहेंगे।