झारखंड विधानसभा में बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार बजट पेश करेगी। वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में कोरोना काल की विषम परिस्थिति से उबरने के प्रयास की स्पष्ट झलक देखने को मिलेगी। बजट गांव, गरीब, किसान, महिलाओं, युवाओं, कमजोर और वंचित तबके के इर्द-गिर्द सिमटा दिखाई दे सकता है।
आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार बजट आकार में करीब चार हजार करोड़ की वृद्धि कर सकती है। इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने वार्षिक बजट पेश होने के दौरान विधायकों को सदन में मौजूद रहने को कहा है।
झारखंड विधानसभा में बुधवार को पेश होने वाले वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में बजट में रोजगार और आदिवासी वर्ग के लिए सरकार अपना खजाना खोल सकती है। गांव, गरीब, किसान, महिलाओं, युवाओं पर खास फोकस होगा।
आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार नए साल में अपना बजट चार हजार करोड़ बढ़ाने जा रही है। चालू वित्तीय वर्ष का बजट आकार 86,370 करोड़ था, इस बार यह 90 हजार करोड़ के आसपास रह सकता है।
वित्तमंत्री रामेश्वर उरांव बुधवार को सदन में जब वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगे तो उसमें गठबंधन सरकार के संयुक्त एजेंडे की झलक स्पष्ट देखने को मिलेगी। जीवन और जीविका की चुनौतियों से उबरने के बाबत बजटीय उपबंध किया जाएगा।
सरकार कमजोर व वंचित तबके को सीधी मदद मुहैया कराते हुए उनके लिए पेंशन का प्रविधान करेगी तो निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए 75 फीसद आरक्षण का नीतिगत निर्णय ले सकती है।
राज्य सरकार ने इस वर्ष को नियुक्तियों का वर्ष घोषित किया है, बजट में इससे जुड़ी घोषणाएं होने की पूरी संभावना है। किसानों के हितों को लेकर छिड़ी बहस को देखते हुए किसानों के लिए ऋण माफी योजना को अगले वित्तीय वर्ष भी जारी रखे जाने की बात कही जा रही है।
चालू वित्तीय वर्ष के सापेक्ष इस योजना में कुछ कटौती हो सकती है। इस बाबत 1500 करोड़ का बजटीय प्रविधान किया जा सकता है। आधारभूत संरचना के विकास पर जोर होगा लेकिन इसे सीमाओं में बांधा जाएगा।