NDA की चुनावी रणनीति देख भौखला उठा महागठबंधन

राजनीति

Bihar में NDA की चुनावी रणनीति महागठबंधन पर भारी पड़ती दिखी। NDA ने न सिर्फ अपने घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा सबसे पहले और आसानी से कर दिया, बल्कि उम्मीदवार भी समय पर तय कर दिए गए। वहीं महागठबंधन में न सिर्फ सीटों के बंटवारे पर लम्बा विवाद चला, बल्कि उम्मीदवारों के चयन में भी देरी हुई। जिस तरह से कई नए नाम अचानक सामने आए, उससे उम्मीदवारों पर सवाल भी उठे।

इसके साथ ही महागठबंधन में प्रचार के दौरान भी समन्वय का अभाव साफ दिखा। इस कारण महागठबंधन नेताओं की सभा में जुटी भीड़ वोट में बदल नहीं पाई। प्रचार तो Tejashwi Yadav ने सबसे पहले शुरू किया, वह अकेले ही प्रचार करते रहे। उनके साथ महागठबंधन के दूसरे नेता बहुत कम जगहों पर दिखे। यहां तक कि छह बार  Rahul Gandhi प्रचार के लिए Bihar में सभाएं कीं, सिर्फ दो बार ही Tejashwi Yadav उनके साथ मंच पर दिखे। एक अपनी बहन मीसा भारती के क्षेत्र विक्रम और दूसरा समस्तीपुर में। इसके विपरीत PM Narendra Modi जब भी Bihar आए उनके मंच पर एनडीए के तमाम नेता साथ रहे। कम से कम एक बार हर सीट पर एनडीए के बड़े नेता साथ जरूर गए।

महागठबंधन के उम्मीदवारों को लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े होते रहे। छपरा, जहानाबाद और शिवहर से उम्मीदवारी को लेकर लालू प्रसाद के बड़े बेटे Tej partap Yadav ने ही विवाद खड़ा कर दिया। जहानाबाद में तो वह राजद उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार भी करने गए। उधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.ए.ए. फातमी और Congress के पूर्व मंत्री शकील अहमद का टिकट काटने पर काफी विवाद हुआ। शकील अहमद तो मधुबनी से मैदान में ताल ठोक भी दिए। रालोसपा की मोतिहारी और बेतिया के अलावा वीआईपी के दरभंगा और मुजफ्फरपुर उम्मीदवार को लेकर भी कई तरह की चर्चा हुई।

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