कारोबार में पीछे रह गया य़ह देश उठाना पड़ा अरबों रुपयों का नुकसान

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को बिजनेस में 1.17 बिलियन डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा है। सरल भाषा में इसको 81 अरब 36 करोड़ 94 लाख कहा जा सकता है। ट्रंप को यह नुकसान राष्‍ट्रपति बनने से काफी समय पहले 1985 से लेकर 1994 के बीच उठाना पड़ा है। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने ट्रंप द्वारा दाखिल किए गए आयकर दस्‍तावेजों के आधार पर इसका खुलासा किया है।

अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप ने अपनी सेल्‍फमेड बिलियनायर कहकर ब्रांडिंग की थी। उन्‍होंने प्रचार के दौरान भी इस बात का जिक्र किया था कि वह अपनी सही नीतियों की बदौलत एक सफल कारोबारी बने और अपने कारोबार को बुलंदियों तक पहुंचाने में कामयाब रहे। लेकिन अखबार को मिले दस्‍तावेज कुछ दूसरी ही कहानी बयां कर रहे हैं।

अखबार द्वारा किए गए इस खुलासे के बाद सीनेट के सदस्‍यों ने इस बात की मांग भी की है ट्रंप के बीते छह वर्षों के आयकर दस्‍तावेजों की जानकारी का भी खुलासा किया जाना चाहिए। खुद ट्रंप अपने कर से जुड़े दस्‍तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग ठुकरा चुके हैं। दूसरी तरफ ट्रेजरी सेक्रेटरी ने हाउस वेज एंड मींस कमेटी  की तरफ से आने वाली दरखास्‍त को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि जिस समय के दस्‍तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है उसका जिक्र अखबार ने अपनी रिपोर्ट में नहीं किया है।

1990 और 1991 में ट्रंप ने हर वर्ष 250 मिलियन डॉलर का नुकसान उठाया है। यह अमेरिकियों द्वारा जमा किए गए कुल आयकर से भी कहीं अधिक है। अखबार ने इससे पहले जानकारी दी थी कि ट्रंप और उसके रिश्‍तेदारों ने एक दूसरी कंपनी की गलत तरीके से अरबों डॉलर की मदद की है। अखबार का यहां तक कहना है कि ट्रंप ने बिजनेस में हुए नुकसान के बाद दस में आठ वर्ष तक आयकर दिया ही नहीं है।

ट्रंप के टेक्‍स और नुकसान की जानकारी उन्‍हें किसी थर्ड पर्सन से मिली थी। टाइम्‍स ने इस जानकारी की पुष्टि के लिए आईआरएस इंफॉर्मेशन के पब्लिक डाटाबेस का इस्‍तेमाल किया। इसके अलावा अखबार ने हासिल किए गए ट्रंप के पहले के कर दस्‍तावेजों और उनके फाइनेंशियल रिकॉर्ड का भी इस्‍तेमाल किया है।

कुछ सप्‍ताह पहले व्‍हाइट हाउस के अधिकारी ने भी ट्रंप को हुए अरबों डॉलर के घाटे की जानकारी दी थी। यहां पर  ट्रंप कई बार अपने देश के टेक्‍स सिस्‍टम का खुलेआम मजाक उड़ा चुके हैं। इतना ही नहीं उन्‍होंने कई बार टेक्‍स के नियमों में बदलाव करने की भी बात कही है। उनका कहना है कि देश में कई लोग जिस हिसाब से धन कमाते हैं उस हिसाब से टेक्‍स नहीं देते हैं।

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