उत्तराखंड में जंगल तेजी से धधकने लगे हैं। पहाड़ से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक के तमाम जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वन महकमे को पसीने छूट रहे हैं। अब तो आग गांवों के नजदीक तक पहुंचने लगी है। पौड़ी व रुद्रप्रयाग जिलों के विभिन्न गांवों के जंगलों के सुलगने से लोग भयभीत हैं।
श्रीनगर में एसएसबी की फायरिंग रेंज से लगे जंगल तक आग पहुंची है तो नैनीताल में आर्य भट्ट प्रेक्षण शोध संस्थान और चंपावत में पूर्णागिरी मंदिर क्षेत्र से लगे जंगल भी सुलग रहे हैं। आग की लगातार बढ़ती घटनाओं ने वन महकमे की पेशानी पर बल डाल दिए हैं।
पखवाड़ेभर से पारे की उछाल के साथ ही राज्य में दावानल की घटनाओं में तेजी आई है। पिछले पांच दिनों में तो आग ने विकराल रूप धारण किया है। पौड़ी जिले के खोला, नैथाणा, झिंझनीसैंण, पैंडुला पांव, नाड़ी पांव, रुद्रप्रयाग जिले के बच्छणस्यूं, खांकरा, जखोली, बष्टी, टिहरी की भिलंगना घाटी के जंगलों में शुक्रवार देर शाम तक आग लगी हुई थी।
नैनीताल के नजदीक तल्ला कृष्णपुर से लेकर ताकुला तक के जंगल धधक रहे हैं। हनुमानगढ़ी क्षेत्र में भी आग लगी है। चंपावत जिले के कई जंगलों में आग की सूचना है। बागेश्वर के चंडिका मंदिर के पास भी जंगल धधक रहे हैं।
वन विभाग के आंकड़ों पर ही गौर करें तो इस फायर सीजन में अब तक जंगलों में आग की 491 घटनाएं हो चुकी है, जिसमें 676.835 हेक्टेयर जंगल तबाह हुआ है। क्षति आंकी गई है 11.25 लाख रुपये। कुमाऊं क्षेत्र में जंगल अधिक तेजी से सुलग रहे हैं, जहां आग की 317 घटनाएं हो चुकी हैं।
गढ़वाल क्षेत्र में अब तक 149 और वन्यजीव परिरक्षण क्षेत्र में 25 घटनाएं सामने आई हैं। आग से अब तक नैनीताल, चमोली और ऊधमसिंहनगर जिलों में 11.26 हेक्टेयर क्षेत्र में किया गया पौधरोपण भी तबाह हो गया।