भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) के पूर्व क्षेत्रीय KK Muhammad ने सीधे और स्पष्ट शब्दों में कहा है कि Ayodhya में विवादित स्थल पर खुदाई के दौरान मिली लंबी दीवार और गोलाकार पूजास्थल हिंदू मंदिर का हिस्सा है, न कि किसी ईदगाह मस्जिद का। मुस्लिम पक्षकार बेवजह और बिना किसी ठोस आधार के सीधे मामले को पेचीदा बना रहे हैं। इस बात के काफी सुबूत हैं कि विवादित ढांचा होने के बावजूद सदियों से हिंदू भगवान राम की पूजा करने के लिए अयोध्या जाते रहे हैं।
विवादित स्थल की खुदाई करने वाली ASI की टीम में शामिल रहे केके मुहम्मद ने अयोध्या विवाद मामले में पुरातात्विक साक्ष्यों और उससे जुड़े साहित्यिक सुबूतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने साफ कहा कि पुरातत्व एक विज्ञान है और ASI स्वतंत्र एजेंसी है। उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट में Scientific report दाखिल की थी। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, अगर दीवार ईदगाह या किसी इस्लामी ढांचे का हिस्सा थी तो आप देवी-देवताओं की मूर्तियां और मगरमच्छ की तस्वीर ‘मकर प्रणाली’ मिलने का क्या स्पष्टीकरण देंगे जो गंगा नदी को दर्शाती है। यह इस्लामी संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं।
साहित्यिक साक्ष्यों का जिक्र करते हुए मुहम्मद ने कहा कि पश्चिम के यात्रियों के यात्रा वृतांत और गैजेटियर्स बेहद अहम सुबूत हैं। ये यात्रा वृतांत आस्था, विश्वास और हिंदुओं द्वारा लगातार पूजा करने के संकेत देते हैं। विलियम फिंच और जोसेफ टाईफेंथलर ने हिंदुओं द्वारा पूजा-अर्चना किए जाने का विवरण दिया है और इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। इसके अलावा उन्होंने अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल द्वारा लिखित आईने अकबरी का हवाला भी दिया।