हवा में मौजूद हानिकारक गैसें और अति सूक्ष्म कण सिर्फ नाक, गला और फेफड़ों के लिए ही खतरनाक नहीं हैं, आंखों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। अस्पतालों में काफी संख्या में ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनकी आंखों में जलन, दर्द, खुजली, लालिमा, पलकों में सूजन की समस्या है।
कई रोगियों में आंख का पानी सूखने की दिक्कत भी आ रही है। नेत्र रोग विशेषज्ञ उन्हें दवाओं के साथ ही आंखों की देखभाल के निर्देश दे रहे हैं। धूल, मिट्टी और धूप को लेकर लोग अधिक संजीदा रहते हैं। वाहन चलाते समय चश्मा और Helmet का इस्तेमाल करते हैं।
सर्दियों में इन उपायों को नजर अंदाज कर देते हैं, जिसका खामियाजा आंखों को उठाना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर हवा में पर्टिकुलेट मैटर का घनत्व मानक से कई गुणा अधिक है। यह सीधे आंखों के संपर्क में आकर उन्हें संक्रमित कर देते हैं। समस्या को नजर अंदाज करने से संक्रमण अधिक बढ़ जाता है।
GSVM Medical College के नेत्र रोग विभाग की असिस्टेंट प्रो. पारुल सिंह ने बताया कि दूषित गैसों का घनत्व काफी है। इनके आंखों के संपर्क में आने पर नुकसान पहुंचाती हैं। सबसे अधिक दिक्कत दोपहिया वाहन चालकों को आ रही है।