कीटनाशक होने के कारण विदेशो में घटी बासमती की मांग

बीबीसी खबर

खेतीबाड़ी में किसान लोग फसलों को बचाने के लिए अंधाधुंध कीटनाशकों का  प्रयोग कर रहे है जिससे देश ही नहीं विदेशों में भी  भारतीय फसलों की मांग कम होती जा रही है। इसी तरह बासमती चावल सबसे ज्यादा विदेशो में भेजा जाता था। लेकिन कीटनाशक की वजह से वहा से भी इसकी मांग में कमी आ गई है। चावल उत्पादन में दुनिया में चीन पहले और भारत दूसरे स्थान पर है। 20 प्रतिशत चावल अकेले भारत में ही पैदा होता है। पूरे देश में उत्तर प्रदेश का चावल उत्पादन में तीसरा स्थान है। वर्ष 2017-18 में भारत से चावल का बड़ा निर्यात विदेशों में किया गया लेकिन इसमें बासमती चावल के निर्यात की बजाय सामान्य चावल का निर्यात बढ़ा।

 कीटनाशकों ने घटाया रुतबा

फसलों में कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग बढऩे से भारतीय बासमती के गुणों में लगातार कमी देखी जा रही है। जिससे विदेशो में भी इसकी मांग नहीं हो रही है। विकास प्रतिष्ठान ‘बी.ई.डी.एफ.’ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि भारत में बासमती की फसल में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है। इस कारण भारतीय बासमती की गुणवत्ता कम होती जा रही है। भारतीय बासमती की बजाय पाकिस्तानी बासमती की मांग बढ़ रही है और यूरोप में कभी महंगा बिकने वाला भारतीय बासमती अब सस्ता बिकने लगा है।

जांच में ज्यादा पाए गए कीटनाशक

वैज्ञानिकों का कहना है कि यूरोप में हुई भारतीय बासमती चावल की जांच में कीटनाशकों की मात्रा बहुत अधिक पाई गई। साथ ही उस चावल में दुर्गंध भी आती है। इस कारण खाड़ी और यूरोपीय देशों में भारतीय बासमती की मांग घटती जा रही है। भारत के मुकाबले पाकिस्तान में कीटनाशकों का प्रयोग कम हो रहा है।

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