अयोध्या विवाद पर नियमित सुनवाई से अब निकलेगा हल

बीबीसी खबर

सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में नमाज इस्लाम में अनिवार्य नहीं बताने वाले अपने पूर्व के फैसले को बरकरार रखते हुए इसे बड़ी बेंच में भेजने से इनकार कर दिया है । शीर्ष अदालत के इस फैसले को दूरगामी महत्व का माना जा रहा है। इस फैसले के बाद अयोध्या विवाद की सुनवाई से रोड़ा हट गया है । 29 अक्टूबर से अयोध्या विवाद टाइटल सूट की सुनवाई शुरू हो जाएगी। अयोध्या विवाद के टाइटल सूट की सुनवाई तीन जजों की बेंच करेगी । इस बीच शीर्ष अदालत के इस फैसले पर राजनीतिक बयान बाजी भी शुरू हो गई है । राजनीतिक दल इन फैसले को अपने अपनी नजर से देख रहे हैं और इसकी व्याख्या कर रहे हैं। हॉलांकि सच यही है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई का रास्ता खोल दिया है । राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था इस मामले में अपराधी के साथ साथ दीवानी मुकदमा भी चला । टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है । 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया । इस फैसले को तमाम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी । 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बहाल कर दी । 5 दिसंबर 2017 को जब अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हुई थी । इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला में जमीन विवाद है,लेकिन इस दौरान मुस्लिम पक्षकार  की ओर से विरोध किया गया ।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पूर्व के फैसले को बरकरार रखते हुए इसे बड़ी बेंच में भेजने से इनकार कर दिया गया ।यह बेहद जरूरी है भी था क्योंकि लंबे समय से इस पर आपसी सहमति से रास्ता निकालने पर विचार हो रहा था, लेकिन कोई रास्ता निकल नहीं रहा था । ऐसे में इसे बड़ी बेंच में भेजने से यह मामला और लटकता । जरूरत है इस मामले में एक फैसले की । फैसला जो भी है दोनों ही पक्षों को मानना चाहिए । इस विवाद का नकारात्मक और सार्थक हल है ।

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