महिलाओं के अधिकार और सम्मान पर फैसला

बीबीसी खबर

विवाहेत्तर संबंध नहीं है या गलत इस बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति पत्नी और वह का जो रिश्ता है अब वह अपराध नहीं है । पांच जजों की बेंच ने आईपीसी की धारा 497 में एडल्टरी को अपराध बताने वाले प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया । इस फैसले को पूरा आधार महिला अधिकार के रूप में देखने को मिला है। कोर्ट ने तर्क दिया है । कोर्ट ने महिलाओं की इच्छा, अधिकार और सम्मान को सर्वोच्च बताया और कहा कि पति महिला का मालिक नहीं होता । उन्हें सेक्सुअल चॉइस रोका नहीं जा सकता है । हॉलांकि कोर्ट ने यह भी कह दिया है कि एडल्टरी तलाक का आधार रहेगा और इसके चलते खुदकुशी के मामले में उकसाने का केस भी दर्ज हो सकेगा । सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ये अपराध तो नहीं होगा ,लेकिन अगर पति और पत्नी में कोई अपने पार्टनर के व्यभिचार के कारण खुदकुशी करता है तो सबूत पेश करने के बाद इसमें खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला चल सकता है । इसके साथ ही तलाक के लिए विवाहेत्तर संबंधों को आधार माना जाएगा । चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि अब यह कहने का समय आ गया है कि पति महिला का मालिक नहीं होता है । जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा है कि एडल्टरी कानून मनमाना है । उन्होंने कहा कि यह महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि  शादी को बाद सेक्सुअल चॉइस से वंचित नहीं किया जा सकता है। केंद्र सरकार की तरफ से एएसजी पिंकी आनंद ने कहा कि अपने समाज में हो रहे विकास और बदलाव को लेकर कानून को देखना चाहिए ना कि पश्चिमी समाज के नजरिए से ।

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