चुनावी दंगल में नहीं दिखेगा इन बाहुबलियों का बल…!

 उत्तर प्रदेश,वाराणसी:- चुनाव में बाहुबलियों के दबदबे के किस्से सालों पुराने है। पूर्वांचल के चुनाव में बाहुबली नेताओं के राजनीतिक रसूख की धमक बीते दो-ढाई दशक में देखने को जरूर मिलती रही है। लेकिन लोकसभा चुनाव में इस बार पूर्वांचल में बाहुबलियों का बल देखने को नहीं मिलेगा। इस बार लोकसभा चुनाव की सियासी तस्वीर बदली हुई है।

इसका कारण है कि विधायक मुख्तार अंसारी और पूर्व सांसद अतीक अहमद अपने जिले से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित जेलों में बंद हैं। वहीं, पूर्व विधायक धनंजय सिंह खुद के लिए राजनीतिक ठौर तलाश रहे हैं। भदोही के ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्रा से एक तरह से सभी प्रमुख दलों ने किनारा कर रखा है।

इस बीच आजमगढ़ के पूर्व सांसद रमाकांत यादव खुद की सियासी जमीन बचाने के लिए भाजपा के सहारे टिकट पाने की गुणा-गणित कर रहे हैं। मऊ सदर विधायक मुख्तार अंसारी अपने गृह जनपद से हजारों किलोमीटर दूर पंजाब की रोपड़ जेल में बंद है, जबकि फूलपुर के पूर्व सांसद अतीक अहमद अपने गृह जनपद प्रयागराज से लगभग साढ़े चार सौ किलोमीटर दूर बरेली में बंद हैं।

इसी तरह से जौनपुर जिले की रारी विधानसभा से पूर्व विधायक धनंजय सिंह प्रदेश की भाजपा सरकार के दो साल के कार्यकाल में भी अपने लिए ठिकाना नहीं तलाश सके। धनंजय सिंह राजनीतिक परिदृश्य से गायब से चल रहे हैं।

वहीं, बात की जाए सेंट्रल जेल वाराणसी में निरुद्ध एमएलसी बृजेश सिंह की तो अब तक कारागार की चहारदीवारी से बाहर उनके समर्थकों के बीच यह संदेश प्रसारित नहीं हो पाया कि वे अपने तीन जिले के निर्वाचन क्षेत्र में किसका समर्थन कर रहे हैं।

फिर भी अपनों के लिए प्रयास जारी

दूसरे प्रदेश की जेल में हों या राजनीतिक परिदृश्य से गायब हों लेकिन बाहुबली नेता अपने करीबियों के लिए अब भी हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। इस क्रम में गाजीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सपा-बसपा गठबंधन से टिकट के लिए मुख्तार अंसारी के भाई पूर्व सांसद अफजाल अंसारी का नाम सबसे ऊपर है।

वहीं, मऊ जिले के घोसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से मुख्तार अंसारी के करीबी अतुल राय का नाम सपा-बसपा गठबंधन से तय माना जा रहा है। अफजाल और अतुल के साथ ही भदोही से विजय मिश्रा और आजमगढ़ से रमाकांत यादव कितना सफल होते हैं, यह आगामी दिनों में स्पष्ट हो जाएगा। पूर्वांचल की सियासत को करीब से जानने वालों का कहना है कि बदलते दौर के साथ यह राजनीति के लिए शुभ संकेत है।

……..सरफ़राज़ अहमद

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