दुनिया के सामने आया पहला ऐसा केस

बाल्टीमोर में जॉन्स हॉपकिन्स हॉस्पिटल के सर्जनों ने एक ऐसी महिला का डोनर लिया है जो कि एचआइवी संक्रमित थी। यह दुनिया में इस तरह का पहला ऐसा मामला माना जा रहा है। यह एड्स वायरस के साथ उन रोगियों के लिए मील का पत्थर है, जिन्हें नए अंग की जरूरत है।

यदि दूसरा एचआइवी पीड़ित डोनर सामने आता है, तो किसी के लिए भी प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कम करने में मददगार साबित होगा। अटलांटा की नीना मार्टिनेज एक एचआइवी पॉजिटिव को किडनी डोनेट करने के लिए जॉन हॉपकिन्स हॉस्पिटल पहुंची।

उन्होंने कहा कि ऐसा करके उन्हें बेहद खुशी होगी। वह “किसी दूसरे के जीवन में कुछ खास” कर कर रही हैं। वह एचआइवी संक्रमित के इर्द-गिर्द लगे दाग का मुकाबला करना चाहती हैं।

35 वर्षीया मार्टिनेज ने सोमवार को आपरेशन से पहले कहा था, कि बहुत से लोगों का यह मानना है कि एचआइवी से संक्रमित लोग टूट जाते है और बहुत ही कमजोर होते हैं। यह शक्तिशाली संदेश यह दिखाने के लिए है कि मैं किसी स्वस्थ डोनर जैसी हूं।”

नीना बचपन में एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने की वजह से इस बीमारी की चपेट में आ गई थीं। यह प्रक्रिया एचआईवी के विकास में एक और कदम है।

साल 1981 में जब एड्स की महामारी शुरू हुई थी, तो इसे निश्चित मौत का कारण समझा जाता था। मगर, अब दुनियाभर में 11 लाख लोगों इस वायरस के साथ जी रहे हैं। दवा से इस बीमारी को इस स्तर तक दबाया जा सकता है कि उसका पता ही नहीं चले।

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