ज्ञान, व्यक्ति को महान बना देता है

एक समय की बात है, बालक अष्टावक ने अपनी मां से पूछा कि मेरे पिता जी कहा है, माता जी बोली की वह शास्त्रार्थ करने के लिए राजा जनक की सभा में गये हैं लेकिन अभी तक उनकी कोई सूचना प्राप्त नहीे हुई है। दोनों के चेहरे पर चिन्ता थी। फिर अष्टावक बोले कि माता आप चिन्ता न करो मै सुबह राजा जनक के दरबार में जाऊंगा और पता लगाकर आता हूॅं।

इस पर मां बोली की कि बालक होने के कारण राज्यसभा में तुम को आसानी से प्रवेश नहीं मिलेगा और सब लोग तुम्हारा मजाक उडायेगे क्योंकि तुम्हारा शरीर आठ जगह से टेढा मेढा है। इस पर वह बोले माता आप परेशान मत हो। मै अपने पिता के साथ जल्द वापस आ जाऊंगा। इतना कहकर वह राज्यसभा के लिए निकल पडे।

राज्यसभा में पहुॅचते ही वहां उपस्थिति सभी विद्वान और उपस्थित गण उनका शरीर देखकर उनका उपहास करने लगे और यह देखकर अष्टावक भी हॅसने लगे। यह देखकर सभी आश्चर्य चकित हो गये और अष्टावक से हंसने का कारण पूछा इस पर अष्टावक ने बडी शालिनता से उत्तर दिया कि हे राजन मैने सुना था कि आपकी राज्यसभा विद्वानों से सुसज्जित है लेकिन यह तो झूठे ज्ञान और अपने घमंड में चूर है।

राजन मै आप से पूछता हॅू कि हडडी रक्त और मांस से युक्त शरीर में देखने लायक क्या है। आप बता सकते है कि क्या शरीर टेढ़ा मेढ़ा हेने से आत्मा भी टेढ़ी मेढ़ी हो जाती है। नदी टेढ़ी होने से क्या उसका पानी भी टेढ़ा हो जाता है।

यह सब सुनकर राजा जनक ने बालक अष्टावक को अपना गुरू मान लिया और तत्वज्ञान प्राप्त किया।

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