मुगल साम्राज्य की राजधानी रही फतेहपुर सीकरी में इन दिनों सियासी पारा गरम है। 2019 के आम चुनाव में फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट से जहां भाजपा अपने 2014 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए बेकरार है, वहीं सपा-बसपा गठबंधन भी जीत की आस लगाए बैठे हैं। कांग्रेस ने फिल्म अभिनेता राजबब्बर को चुनावी मैदान में उतार कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। इस सीट पर हार-जीत चाहे जिस दल की हो, लेकिन यहां चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है। आइए जानते हैं प्रमुख राजनीतिक दलों के क्या है अपने जीत के आधार। यहां हुए दो आम चुनावों में किसने मारी बाजी।
2014 के आम चुनाव में यहां से भाजपा के उम्मीदवार चौधरी बाबूलाल विजयी हुए थे। उन्होंने बसपा उम्मीदवार सीमा उपाध्याय को हराया था। 2019 में भाजपा के लिए इस सीट पर कमल को दोबारा खिलाने की चुनौती है। भाजपा ने इस सीट से चौधरी बाबूलाल की जगह राजकुमार चाहर को मैदान में उतारा है। इस सीट पर जाट बिरादरी का प्रभुत्व रहा है, इसलिए इस बार भाजपा ने एक बार फिर जाट बिरादरी के प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। इसके अलावा भाजपा ने जिस तरह से 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन किया, इससे भी उसकी जीत की उम्मीदें बढ़ी है। इस चुनाव में भाजपा ने पांचों विधानसभा सीटों पर विजय हासिल की थी।
इस बार चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में आई है। यहां से गठबंधन के प्रत्याशी श्री भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित हैं। यहां बसपा के अपनी जीत के आधार हैं। 2014 के चुनाव में बसपा उम्मीदवार सीमा उपाध्याय यहां दूसरे स्थान पर थीं। इसके पूर्व 2009 में इस संसदीय सीट पर पहली बार हुए चुनाव में बसपा ने जीत हासिल की थी। गठबंधन को उम्मीद है कि इस बार मुस्लिम, दलित और पीछड़े वोट बैंक के सहारे उनकी नैया पार हो सकती है। पंडित प्रत्याशी को मैदान में उतारकर यहां पंडित बिरादरी को भी रिझाने और साधने की कोशिश की गई है।
वर्ष 2014 के आम चुनाव में इस सीट पर कमल ने हाथी को परास्त किया था। इस सीट पर दूसरी बार आम चुनाव हो रहे थे। इस चुनाव में बसपा अपनी पूर्व की जीत से उत्साहित थी। बसपा ने एक बार फिर सीमा उपाध्याय पर भरोसा जताया और अपना उम्मीदवार बनाया। सीमा उपाध्याय बसपा के कद्दावर नेता रहे रामबीर उपाध्याय की पत्नी हैं। भाजपा ने चौधरी बाबूलाल को अपना प्रत्याशी घोषित किया। लेकिन 2014 के चुनाव में मोदी लहर के आगे हाथी की एक नहीं चली। भाजपा प्रत्याशी ने बसपा की दोबारा जीत के जश्न पर पानी फेर दिया। भाजपा के चौधरी ने बसपा के सीमा उपाध्याय को दो लाख मतों से पराजित किया। भाजपा को 44 फीसद और बसपा को 26 फीसद से ज्यादा वोट मिले।
फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। इस सीट के अंतर्गत कुल पांच विधानसभा सीटें हैं। इसमें आगरा ग्रामीण, फतेहपुर सीकरी, फतेहबाद और बाह विधानसभा सीट शामिल है। 2014 के आंकड़ों के अनुसार इस लोकसभा सीट पर कुल 16 लाख मतदाता है। इसमें 87 पुरुष और सात लाख महिला मतदाता हैं। यहां जाटों की भी बड़ी संख्या है। इसलिए इस सीट पर राष्ट्रीय लोकदला का भी अच्छा प्रभाव है।