जानें क्या है पूरा सियासी खेल, किस पर है भाजपा की नजर

देश में हो रहे आम चुनाव का यह पांचवां चरण भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के लिए बेहद खास है। एक ओर जहां भाजपा पश्चिम बंगाल में दीदी के गढ़ में सेंध लगाकर दिल्ली के सिंहासन तक पहुंचने की जुगत में है, तो दूसरी ओर यहां की सात सीटों पर दीदी की प्रतिष्‍ठा दांव पर लगी है।

पश्चिम बंगाल की उन सात सीटों के बारे में जो भाजपा के लिए अहमियत रखती है। उधर, दीदी के लिए ये सीटें क्यों  प्रतिष्ठा का विषय बन गई है। इसके साथ ही जानेंगे कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के सियासी समीकरण हार-जीत के लिए बड़ा फैक्टर क्यों  बन गया है।

अगर पांचवें चरण में हो रहे 51 संसदीय सीटों पर नजर दौड़ाए तो एक दिलचस्पच बात सामने आती है। वर्ष 2014 के आम चुनावों में भाजपा ने जोरदार प्रदर्शन किया था। 51 सीटों पर उसने 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इनमें से पश्चिम बंगाल की सात सीटें थीं, जहां भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस बार पश्चिम बंगाल की इन सात सीटों पर भाजपा जीत की रणनीति के साथ मैदान में है। भाजपा को लगता है कि अगर जीत के पूराने रिकार्ड यानी संख्या को दोहराना है तो दीदी के दुर्ग में सेंध लगाना जरूरी होगा। उधर, दीदी ने इस तरह से सियासी विसात बिछाई है कि उनके गढ़ सुरक्षित रहे।

वर्ष 2014 के आम चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया था। आज पांचवें चरण में उत्तरर प्रदेश की 14, राजस्था्न की 12 और मध्यज प्रदेश की सात सीटों पर मतदान हाे रहा है। वर्ष 2014 के अाम चुनाव में इन 14 सीटों में से 12 पर भाजपा की जीत हुई थी। राजस्थान और मध्य  प्रदेश में जीत का रिकार्ड सौ फीसद था। राजस्थान की 12 सीटें और मध्य प्रदेश की सात सीटें भाजपा की झोली में गई थी।

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