प्रजातियों पर पड़ा जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर

दुनिया के सबसे घने और बड़े जंगलों में शुमार सुंदरवन में शान से विचरण करने वाले रॉयल बंगाल टाईगर अगले 50 वर्ष में विलुप्त हो जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी एक विशेष रिपोर्ट से यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है।

यही नहीं इस अवधी में पृथ्वी के करीब पांच लाख प्रजातियों का अस्तित्व हमेशा से लिए समाप्त हो जाएगा। जलवायु परिवर्तन के चलते वर्ष 2070 पूरी दुनियां से विलुप्त होने वाले प्रजातियों में सुंदरवन के बाघ भी जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर बंगाल की खाड़ी पर पड़ रहा है। इसकी जद में सुंदरवन भी है।

बांग्लादेश और भारत को मिला कर कुल 4000 वर्ग माइल इलाके में सुंदरवन का ऐतिहासिक जंगल फैला हुआ है। इसकी 70 फीसद जमीन समुद्र से कुछ फुट की ऊंचाई पर स्थित है। जलवायु परिवर्तन के चलते समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।

इसका असर बाघों के प्रजनन पर पड़ रहा है। यही नहीं, बदलते मौसम के साथ रॉयल बंगाल टाइगर सामंजस्य भी नहीं बैठा पा रहे हैं। इनकी प्रजनन क्षमता कम होती जा रही है। वैसे भी तेजी से विलुप्त होने वाले प्रजाति में पहले से ही बाघ को भी शामिल किया जा चुका है। लेकिन इस बार की स्थिति चिंतनीय हो गई है।

मालूम हो कि वर्ष 2010 में व‌र्ल्ड वाईल्ड फंड फॉर नेचर की ओर से एक शोध किया गया था। जिससे पता चला था कि समुद्र के जलस्तर में 11 इंच की वृद्धि होते ही कुछ दशक में सुंदरवन में बाघों की संख्या में 96 फीसद तक की कमी आ जाएगी।

 

 

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